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क्या वाकई 27 सालों के 'कोमा' से जागी महिला?

२५ अप्रैल २०१९

एक जर्मन क्लीनिक में 27 साल 'वेजिटेटिव स्टेट' में बिताने के बाद संयुक्त अरब अमीरात की एक महिला ठीक हो गई है. अब अपने परिवार के साथ घर जा चुकीं ये महिला ऐसे कई लोगों के लिए उम्मीद जगा रही हैं.

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Deutschland Schön Klinik in Bad Aibling
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Schön Klinik

कई जगहों पर इसे 27 साल लंबे कोमा से बाहर आने का मामला बताया जा रहा है. लेकिन मरीज मुनीरा अब्दुल्ला के डॉक्टर फ्रीडेमन मुलर कहते हैं कि उनके "बहुत कम चेतना" वाले वेजिटेटिव स्टेट को कोमा की स्थिति नहीं समझना चाहिए. कोमा के मरीज चेतनाविहीन हो जाते हैं, जैसे कि किसी गहरी नींद में हों. उनमें स्पर्श, प्रकाश, आवाज या किसी भी बाहरी चीज से प्रतिक्रिया नहीं होती और वे अपने कोई भी अंग नहीं हिला सकते. तंत्रिका विशेषज्ञ डॉक्टर मुलर बताते हैं, "27 सालों के कोमा के बाद कोई मरीज नहीं उठ सकता. इस मरीज की शारीरिक और मानसिक दशा बीते कुछ हफ्तों में अब इतनी बेहतर हो गई है कि वह अपने आसपास की चीजों के लिए प्रतिक्रिया दे पा रही है और परिवार में फिर से हिस्सा ले सकती है."

संयुक्त अरब अमीरात की महिला मुनीरा अब्दुल्ला के परिवार ने बताया कि अब वह उनके साथ अपने घर पर हैं. 1991 में हुए एक बड़े कार हादसे के बाद जर्मनी के क्लीनिक में लाई गईं अब्दुल्ला सीधे मई 2018 में वेजिटेटिव स्टेट से बाहर आई थीं. हादसे के समय केवल 32 साल की रही महिला अब 60 की हो चुकी हैं. हादसा तब हुआ जब वह अपने चार साल के बेटे ओमर को स्कूल से लाने गई थीं.

ओमर ने बताया कि बीते कुछ महीनों से पूरा परिवार उनकी हालत स्थिर होने के इंतजार में था, जिसके बाद ही वे पूरी दुनिया को यह खबर देना चाहते थे. सालों पहले उस हादसे में खुद भी घायल हुए ओमर ने मां की सेहत में सुधार के बारे में बताते हुए कहा, "हमें लगा कि अपनी कहानी सबको बतानी चाहिए ताकि जो लोग ऐसे अनुभव से गुजर रहे हैं, उनकी उम्मीद जगी रहे."

कई सालों से मां के ठीक होने की राह देख रहे बेटे ओमर का नाम वह पहला शब्द था जो मां के मुंह से निकला. अब्दुल्ला का इलाज दक्षिणी जर्मनी के बाड एबलिंग के श्योन क्लीनिक में चल रहा था. क्लीनिक की प्रवक्ता एस्ट्रिड राइनिंग ने कहा, "यह सुनने में किसी चमत्कार जैसा लगता है. लेकिन असल में बेहतरीन मेडिकल केयर का नतीजा है."

व्हीलचेयर पर टूटीफूटी हालत में लाई गईं अब्दुल्ला को जर्मन क्लीनिक में फिजिकल थेरेपी, दवाएं, ऑपरेशन और सेंसरी स्टिमुलेशन दिया गया. मुलर ने बताया कि इन सबके अलावा मरीज को बाहर घुमाया जाता था ताकि वह चिड़ियों की आवाज सुन सकें.

आरपी/आईबी (एएफपी, डीपीए)