क्या मारा गया अमेरिकी हमले में जिहादी जॉन
१३ नवम्बर २०१५पेंटागन के प्रवक्ता पीटर कुक ने कहा कि जिहादी जॉन के नाम से जाना जाने वाला मोहम्मद एमवाजी रक्का पर हवाई हमले का लक्ष्य था लेकिन इस बात की पुष्टि नहीं की कि वह मारा गया या नहीं. "हम रात के ऑपरेशन का आकलन कर रहे हैं और जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त सूचना उपलब्ध कराएंगे." पेंटागन ने कहा है कि हमला रक्का में हुआ जो इस्लामिक स्टेट का सीरिया का मुख्यालय है. पेंटागन के अनुसार, "ब्रिटिश नागरिक एमवाजी ने उन वीडियो में हिस्सा लिया जिनमें अमेरिकी पत्रकार स्टीवन सॉटलॉफ और जेम्स फॉली, अमेरिकी राहतकर्मी अब्दुल रहमान कासिग, ब्रिटिश राहतकर्मी डेविड हेन्स और एलन हेनिंग, जापानी पत्रकार केंजी गोटो और दूसरे बंधकों की हत्या दिखाई गई है."
फुटबॉल से प्यार करने वाले शांत बच्चे से इस्लामिक स्टेट का जल्लाद और जिहादी आंदोलन का कुख्यात किरदार बनने वाला 27 वर्षीय एमवाजी अमेरिकी हमले के बाद भी रहस्य बना हुआ है. कैमरे के लेंस के सामने विदेशी बंधकों की निर्मम हत्या ने उसके प्रति दुनिया भर में घृणा पैदा की है. उसे जानने वाले लोगों का ब्रिटिश मीडिया में कहना है कि वे उस शांत और संवेदनशील बच्चे से क्रूर, निर्दयी और बेरहम जिहादी जॉन की तुलना नहीं कर सकते जिसे वे बचपन में जानते थे.
कुवैत में जन्मे एमवाजी का परिवार लंदन चला गया जब वह छह साल का था. यह परिवार नॉर्थ केनसिंग्टन में रहता था, जहां इस बीच इस्लामिक उग्रपंथियों के नेटवर्क का पता चला है. स्कूल के जमाने में वह मैनटेस्टर यूनाइटेड और पॉप बैंड एस क्लब 7 का फैन हुआ करता था. उसने अपने स्कूल की ईयर बुक में लिखा था, "बड़ा होकर मैं फुटबॉलर बनना चाहता हूं." कट्टरपंथी पेशा अपनाने से पहले उसने वेस्टमिंस्टर यूनिवर्सिटी में आईटी और बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई की.
कट्टरपंथ के खिलाफ काम करने वाली संस्था केज ने एमवाजी के साथ कुछ सालों तक हुए पत्र व्यवहार को प्रकाशित किया. केज के अनुसार उसका कट्टरपंथी रुझान 2009 में पोस्ट ग्रेजुएशन के दौरान तंजानिया के ट्रिप के साथ शुरू हुआ. एमवाजी ने केज को बताया कि यह ट्रिप छुट्टियां बिताने के लिए थी, लेकिन ब्रिटिश अधिकारियों ने उस पर सोमालिया में अल शबाब लड़ाकों के साथ शामिल होने की योजना का आरोप लगाया.
तंजानिया की राजधानी दारेस्सलाम में रात भर हिरासत में रखे जाने के बाद उसे एम्सटरडम होते हुए ब्रिटेन वापस भेज दिया गया, जहां उसकी सख्त पूछताछ हुई. पत्र में उसने दावा किया कि उसकी गिरफ्तारी के पीछे ब्रिटिश खुफिया सेवा थी, जिसने उसे जासूस बनने को कहा और इंकार करने के बाद बहुत सारी मुश्किलों की धमकी दी. केज के अनुसार माता पिता के कहने पर वह कुवैत भाग गया और वहां आईटी में नौकरी कर ली. 2010 में वह दो बार परिवार से मिलने ब्रिटेन गया जो पश्चिमी लंदन में रहते थे. पड़ोसी एलिजा मोरेस ने मीडिया को बताया कि तब तक वह अजीब और गैरदोस्ताना हो गया था.
अब अमेरिकी हमले के बाद ब्रिटिश चैनल बीबीसी ने कहा है कि संभवतः हमले में जिहादी जॉन मारा गया है. अमेरिकी अधिकारियों ने इससे पहले रक्का में उस पर लक्षित ड्रोन हमले की पुष्टि की थी.