क्या दिल्ली पुलिस ने छात्राओं के गुप्तांगों पर हमला किया था?
१४ फ़रवरी २०२०10 फरवरी की शाम जामिया के छात्र नए नागरिकता कानून के खिलाफ संसद तक पैदल मार्च कर रहे थे. तभी जामिया के पास ही पुलिस ने उनके मार्च को खत्म करने के लिए उन पर कार्रवाई की. छात्रों के अनुसार पुलिस ने ना सिर्फ उनके आंदोलन का मजाक उड़ाया और उन्हें अभद्र शब्द कहे, बल्कि छात्रों पर इतनी बर्बरता से प्रहार भी किया कि बड़ी संख्या में छात्रों को इलाज के लिए आसपास के अस्पतालों में भर्ती करवाना पड़ा.
दिल्ली पुलिस पर आरोप है कि छात्रों और छात्राओं को गिरा कर उनके गुप्तांगों पर लात-जूतों और लाठियों से वार किया गया. बताया जाता है कि इस कार्रवाई में दिल्ली पुलिस के पुरुष और महिला कर्मचारी, दोनों ही शामिल थे.
वहां मौजूद जामिया के छात्र अबू दर्दा ने डॉयचे वेले को बताया कि मीडिया से बचने के लिए पुलिसकर्मियों ने लाठीचार्ज नहीं किया, बल्कि छात्रों को दो-चार के समूह में घेर कर, जमीन पर गिरा कर मारा. दर्दा कहते हैं कि उन्हें भी 15-20 पुलिसवालों ने घेर कर गिरा दिया, जूतों से चेहरे पर मारा, बन्दूक से हाथों पर मारा, छाती पर चढ़ गए, उनका कुर्ता फाड़ दिया, गालियां दीं और बार-बार ये कहा, "तुम्हें आजादी चाहिए ना? ये लो आजादी!"
ट्विटर पर जामिया के छात्रों ने पुलिस की बर्बरता दिखाती हुई कई तस्वीरें और कई घायल छात्रों के बयान साझा किए हैं.
दर्द से कराहती एक महिला ने आरोप लगाया कि पुलिस वालों ने उसकी छाती और गुप्तांगों पर वार किया.
एक महिला पुलिसकर्मी पर आरोप लगा कि उन्होंने महिलाओं के वक्षों को नोचा.
अस्पताल में भर्ती एक छात्रा ने कहा कि पुरुष पुलिसकर्मियों ने उसकी छाती पर हाथ रख कर उसे धकेला और फिर उसके पेट में घूंसे और लातें मारी.
अल शिफा अस्पताल में लगभग 40 घायल छात्रों को ले जाया गया था. वहां के निदेशक अब्दुल नासर ने डॉयचे वेले को बताया कि जिन छात्रों का इलाज उनके अस्पताल में हुआ उनमें से ज्यादातर को उनके गुप्तांगों में चोटें आई थीं. इनमें पुरुष और महिलाएं दोनों शामिल थे. नासर ने ये भी बताया कि सभी चोटें अंदरूनी थीं और लगभग सभी घायल छात्र छाती, पेट और सर में भी दर्द की शिकायत कर रहे थे.
इनमें से कई छात्र अभी भी दूसरे अस्पतालों में भर्ती हैं और उनका इलाज चल रहा है. पुलिस ने इन सभी आरोपों से साफ इनकार कर दिया है. मीडिया में छपी रिपोर्टों में पुलिस ने बल के प्रयोग के आरोप का खंडन किया और कहा कि उलटे पुलिसकर्मियों ने "जामिया के आक्रामक छात्रों को संभालने में बहुत धैर्य दिखाया."