एफएटीएफ की काली सूची में गया तो पाकिस्तान का क्या होगा
१५ अक्टूबर २०१९इसी महीने की शुरुआत में टास्क फोर्स के एशिया पैसिफिक गुट ने पाकिस्तान के बारे में जो रिपोर्ट दी है वह बहुत उत्साहजनक नहीं है. यही गुट पाकिस्तान में हो रही प्रगति पर नजर रख रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि आतंकवाद के लिए धन की व्यवस्था और मनी लाउंडरिंग को रोकने के लिए पाकिस्तान को जो 40 उपाय सुझाए गए थे उसमें उसने सिर्फ एक पर ही पूरी तरह से अमल किया है. बाकी के 39 उपाय या तो आधे अधूरे लागू किए गए या फिर उनकी पूरी तरह से अनदेखी कर दी गई.
फिलहाल संस्था की सूची में सिर्फ दो देश हैं, ईरान और उत्तर कोरिया. अगर यह संस्था पाकिस्तान को भी इस सूची में डाल देती है तो खराब अर्थव्यवस्था से जूझ रहे प्रधानमंत्री इमरान खान के लिए निवेश और कर्ज हासिल कर पाना बेहद मुश्किल हो जाएगा. पाकिस्तान अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से 6 अरब डॉलर और इतनी ही रकम कर्ज के रूप में सऊदी अरब से हासिल करने की कोशिश में है. अगर उसे काली सूची में डाल दिया गया तो उसकी कोशिशें खटाई में पड़ जाएंगी.
इस्लामाबाद के इंस्टीट्यूट ऑफ पीस स्टडीज के निदेशक आमिर राणा कहते हैं, "काली सूची में शामिल किए जाने के बाद पाकिस्तान के लिए बात सामान्य नहीं रह जाएगी." काली सूची में डाले जाने पर पाकिस्तान में चीन के बेल्ट एंड रोड परियोजना के तहत हो रहा निवेश भी प्रभावित होगा. पाकिस्तान मानता है कि यह परियोजना देश में समृद्धि लाएगी. पाकिस्तान में प्रतिव्यक्ति आय फिलहाल महज 125 डॉलर प्रति महीना है.
काली सूची में डाले जाने पर पाकिस्तान के हर वित्तीय लेनदेन पर बारीकी से नजर रखी जाएगी. राणा के मुताबिक पाकिस्तान में कारोबार करना महंगा और मुश्किल हो जाएगा. वे कहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष एशियन डेवलपमेंट बैंक और वर्ल्ड बैंक जैसी कर्ज देने वाली अंतराराष्ट्रीय संस्थाओं पर रोक लग जाएगी. पाकिस्तान को कर्ज देने वालो में यह संस्थाएं प्रमुख हैं. राणा का कहना है कि पाकिस्तान ने आतंकवाद के लिए धन जुटाने वाले नेटवर्क को निशाना बनाने के लिए संस्थागत बदलाव नहीं किए हैं. आततंकवादी घोषित किए गए कुछ गुट अब भी पाकिस्तान में काम कर रहे हैं इनमें से कुछ ने बस अपना नाम बदल लिया है.
इसके लिए पुलिस, कूटनीतिक अक्षमता, कुप्रबंधन के साथ ही सेना और खुफिया एजेंसियों की विवादित भूमिका को दोषी ठहराया जाता है. सुरक्षा एजेंसियां अब भी तय नहीं कर पा रही है कि इन गुटों से पूरी तरह संबंध तोड़ें या नहीं. इन गुटों से उनका संबंध पुराना है और इन्हें बहुत काम का माना जाता रहा है. खास तौर से पड़ोसी देश भारत के खिलाफ इस्तेमाल के लिए. पाकिस्तान ने अच्छे और बुरे गुटों की पहचान करने की सोची है. भारत विरोधी लश्कर ए तैयबा जैसे संगठनों को कम खतरनाक माना जाता है. इसी तरह खतरनाक गुटों की सूची में अल कायदा, तहरीक ए तालिबान और बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी को डाला गया है.
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरेशी ने हाल ही में पत्रकारों से कहा कि आर्थिक मामलों के मंत्री हम्माद अजहर पेरिस पहुंच चुके हैं और बुधवार को होने वाली बैठक की तैयारी में जुटे हैं. इस बीच कुरेशी ने पड़ोसी देश भारत पर आरोप लगाया कि वह पाकिस्तान को काली सूची में डलवाने के लिए खेमेबाजी कर रहा है. उन्होंने कहा, "भारत अपनी पूरी कोशिश कर रहा है कि हमें काली सूची में डलवा दे, इंशाअल्लाह आप देखेंगे कि इस तरह की कोशिशें कैसे नाकाम होती हैं."
ऐसी खबरें आ रही हैं कि पाकिस्तान तुर्की और मलेशिया के साथ मिल कर इस बात के लिए खेमेबाजी कर रहा है कि टास्क फोर्स की बैठक में पाकिस्तान को जून 2020 तक का समय मिल जाए. पाकिस्तान का वादा है कि तब तक वह सारे उपायों को पूरी तरह से लागू कर देगा. कुरेशी का कहना है कि उनके देश ने बीते 10 महीनों में आतंकवाद के लिए धन की व्यवस्था को और मनी लाउंडरिंग को रोकने के लिए कई कदम उठाए, लेकिन यह काम बड़ा है.
पाकिस्तान ने 66 संगठनों को आतंकवाद या फिर आतंकवाद का समर्थन करने वाला घोषित कर उन पर प्रतिबंध लगाया. इसके अलावा करीब 7,600 लोगों क एंटी टेररिज्म एक्ट के तहत बनी सूची में डाला गया है. भारत का मोस्ट वांटेड हाफीज सईद पाकिस्तान में है और उस पर अमेरिका ने 1 करोड़ डॉलर का इनाम घोषित कर रखा है. पाकिस्तान की जमीन से ही एक और आतंकवादी संगठन काम कर रहा है जिसका नाम है जैश ए मोहम्मद. इस संगठन ने इसी साल फरवरी में भारत के नियंत्रण वाले कश्मीर में आत्मघाती हमले की जिम्मेदारी ली थी. इस हमले में 40 भारतीय सुरक्षा बलों की मौत हो गई और उसके बाद दोनों देशों के बीच बने तनाव ने उन्हें युद्ध के करीब ला दिया था.
इसी साल संयुक्त राष्ट्र ने जैश ए मोहम्मद के मुखिया मसूद अजहर को कई नाकाम कोशिशों के बाद अपनी काली सूची में डाल दिया. पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार बनने के बाद संगठन के कई स्कूलों, चिकित्सा केंद्रों और एंबुलेंस सेवाओं का नियंत्रण सरकार ने अपने हाथ में ले लिया है. सरकार ने संगठन से जुड़े दर्जनों कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार भी किया है.
हालांकि जानकारों का कहना है कि देश के कानूनी तंत्र के कामकाज में "गुप्त अदालतों" की वजह से बाधा पड़ रही है. पाकिस्तान की मौजूदा न्यायिक प्रक्रियाओं में मुकदमे बंद दरवाजों के पीछे या फिर सैन्य अदालतों में चलते हैं जिन्हें आम लोगों की नजरों से दूर रखा जाता है.
पाकिस्तान पर नजर रखने वाले एशिया पैसिफिक गुट की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान ने कुछ संपत्तियों को जब्त किया है. हालांकि देश में मनी लाउंडरिंग और आतंकवाद के लिए धन की व्यवस्था जिस पैमाने पर होती है उसको देखते हुए जब्त की गई रकम बहुत कम है.
रिपोर्ट में पाकिस्तान के बैंकों और बड़ी एक्सचेंज एजेंसियों का काम अच्छा बताया गया है. हालांकि स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के बारे में कहा गया है कि वह उसे मनी लाउंडरिंग और आतंकवाद के लिए धन की व्यवस्था से उन क्षेत्रों को होने वाले खतरे का साफ अंदाजा नहीं है जिनकी वह निगरानी करता है. हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि स्थिति सुधर रही है.
एनआर/एमजे(एपी)
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