कौन हैं तुलसी गाबार्ड
दो फरवरी को हवाई में एक रैली के साथ तुलसी गाबार्ड 2020 के अमेरिकी चुनावों में कदम रखने जा रही हैं. अमेरिका ने अब तक एक भी महिला राष्ट्रपति नहीं देखी है. तुलसी इस पद के लिए खड़ी होने वाली पहली हिंदू उम्मीदवार हैं.
फूलों की माला
तुलसी की तस्वीरों में अकसर उनके गले में फूलों की माला दिखती है. कई लोगों को लगता है कि ऐसा इसलिए है क्योंकि वे हिंदू हैं, जबकि सच्चाई यह है कि तुलसी अमेरिका के हवाई से नाता रखती हैं जहां फूलों की माला की परंपरा है.
भारत से नाता नहीं
वे हिंदू हैं, नाम भी "देसी" है लेकिन उनका भारत से कोई नाता नहीं है. तुलसी के पिता माइक गाबार्ड अमेरिकी समोआ से नाता रखते हैं जो कि प्रशांत महासागर में स्थित एक छोटा सा द्वीप है. मां यूरोपीय मूल की हैं लेकिन हिंदू धर्म का पालन करती हैं.
कब बनीं हिंदू
ऐसा नहीं है कि जन्म के साथ ही मां ने तुलसी के लिए हिंदू धर्म चुन लिया था. तुलसी के पास बड़े हो कर खुद अपना धर्म चुनने का विकल्प था. वह स्कूल में थीं जब उन्होंने हिंदू धर्म अपनाया.
राजनीति से संबंध
तुलसी के लिए राजनीति कोई नई जगह नहीं है. 2006 से पिता हवाई की सीनेट के सदस्य हैं. राजनीति में शुरुआत उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी से की लेकिन एक साल बाद ही डेमोक्रेटिक पार्टी से जुड़ गए. तुलसी भी इसी पार्टी से जुड़ी हैं.
पहली कामयाबी
1996 में माइक और तुलसी गाबार्ड ने मिल कर हेल्दी हवाई कोएलिशन की शुरुआत की. यह एक गैर सरकारी संस्था है जिसका मकसद हवाई के पर्यावरण की रक्षा करना है. जिस समय इसकी शुरुआत हुई तुलसी स्कूल में पढ़ती थीं.
सबसे युवा
2002 में तुलसी हवाई विधानसभा में चुनी जाने वाली सबसे युवा सदस्य बनीं. उस वक्त उनकी उम्र 21 साल थी. तुलसी का जन्म अमेरिकी के समोआ में ही हुआ था. लेकिन जब वह दो साल की थीं तब परिवार हवाई आ कर बस गया था.
सेना से सदन तक
2012 में तुलसी अमेरिकी संसद के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में पहुंचने वाली पहली हिंदू महिला बनीं. इससे पहले वह करीब एक दशक तक अमेरिकी सेना में काम कर चुकी थीं. निचले सदन में तुलसी के अलावा सैन्य पृष्ठभूमि से केवल एक और महिला पहुंचीं थी.
भारत पर ध्यान
तुलसी अमेरिका और भारत के करीबी रिश्तों की पैरवी करती रही हैं. उन्हें कई बार भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी नीतियों की तारीफ करते भी देखा गया है.