कोबानी से फैलता कुर्द-आईएस विवाद
इस बीच तुर्की सहित जर्मनी में भी कुर्द मूल के लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय समर्थन मांग रहे हैं. जर्मन शहर हैम्बर्ग में कुर्द और यजीदी प्रदर्शनकारियों और आईएस के समर्थकों के बीच भारी झड़प हुई.
घमासान
कोबानी में कुर्द सैनिक और अमेरिकी लड़ाकू विमान आईएस लड़ाकों को रोकने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन इस लड़ाई का कोई अंत दिखाई नहीं दे रहा. इस संघर्ष के कारण तुर्की में भारी दंगे हो रहे हैं.
तुर्की में दंगे
दक्षिणपूर्वी तुर्की के इलाके कुर्द बहुल हैं जो स्वायत्तता की मांग करते रहे हैं. कोबानी में कुर्दों और आईएस लड़ाकों के बीच संघर्ष ने तुर्की में चिंगारी भड़का दी. इस्तांबुल और अंकारा में कुर्द प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच भारी झड़पें हुईं.
गंभीर समस्या
सीरिया और इराक में हो रही इस लड़ाई का असर कुर्द शांति प्रक्रिया पर पड़ने की आशंका है. तुर्की में कुर्द वर्कर्स पार्टी पीकेके प्रतिबंधित संगठन है. जबकि कुर्द लड़ाके आईएस के खिलाफ लड़ाई में अंतरराष्ट्रीय सहयोग की मांग कर रहे हैं.
सरकार का बयान
तुर्की के विदेश मंत्री मेवलुत चावुशोलू ने नाटो के महासचिव येंस स्टोल्टेनबैर्ग से मुलाकात के बाद कहा कि तुर्की से सीरिया में जिहादियों के खिलाफ जमीनी कार्रवाई करने की अपेक्षा नहीं की जा सकती. राष्ट्रपति रेचेप तय्यप एर्दोवान ने नो फ्लाई जोन की मांग की है.
यूरोपीय संसद में
कट्टरपंथी आईएस का विरोध कर रहे कुर्द प्रदर्शनकारी जबरदस्ती ब्रसेल्स स्थित यूरोपीय संसद में भी घुस गए. वे यूरोपीय संघ के सांसदों का ध्यान कुर्दिस्तान की समस्या की ओर खींचना चाहते थे.
प्रदर्शनों की लहर
कुर्द मूल के लोग इराक, सीरिया, तुर्की और ईरान के कुछ हिस्सों में रहते हैं. ये लोग आईएस लड़ाकों के हमलों के कारण विस्थापित हो गए हैं. जर्मनी में रहने वाले कुर्द मूल के लोग अलग अलग शहरों में प्रदर्शन कर रहे हैं.
हिंसाजनक
जर्मनी में कट्टरपंथी सलाफी समुदाय के लोगों की भी कमी नहीं है. हैम्बर्ग में सलाफियों और कुर्दों के बीच भारी झड़प हुई. जर्मनी में रहने वाले तुर्क लोग 1960 के दशक में आए थे. इनमें से कई कुर्द मूल के लोग भी हैं
गहरा मतभेद
जब से आईएस के खिलाफ लड़ाई शुरू हुई है. सामने आया है कि जर्मनी से करीब 450 जिहादी आईएस के लिए लड़ने सीरिया और इराक गए हैं. जर्मनी में सलाफियों की संख्या करीब छह हजार है.