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कॉमनवेल्थ में जायका इंडिया का

२० सितम्बर २०१०

इस साल के कॉमनवेल्थ खेलों की मेजबानी कर रही दिल वालों की दिल्ली विदेशी खिलाड़ियों को लजीज और सेहतमंद देशी नाश्ते से रूबरू कराने को तैयार है. खेलों की तैयारियां आखिरी दौर में है और खानसामों की रसोइयां भी सज गई है.

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तस्वीर: UNI

सेहत और स्वाद के बीच संतुलन का खास ध्यान रखा जा रहा है. स्टेडियमों में खिलाड़ियों और इनके परिजनों को नाश्ते में परोसी जाने वाली डिश होंगी तो पश्चिमी लेकिन इनमें भारतीय जायके का तड़का लगा होगा.

सेंडविच, पफ्स, पित्जा, कुकीज और कबाब रोल जैसे तमाम पकवानों को मेहमानों के सामने भारतीय कलेवर में पेश किया जाएगा. मुख्य आयोजन स्थल जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में कैटरिंग का काम संभाल रही कंपनी ग्रेविस हॉस्पीटिएलिटी के सीईओ रमन मेहरा का कहना है कि तमाम मुल्कों के खिलाड़ी भारत आएं और यहां के स्वाद से महरूम रहें यह जायज नहीं है. इसलिए व्यंजन तो विदेशी होंगे लेकिन खिलाड़ियों के स्वाद को समझते हुए इनमें बड़े ही करीने से हिंदुस्तानी जायका दिया गया है.

इस बात का भी ख्याल रखा गया है कि एक ही डिश को फिर से न परोसा जाए. जिससे कि विदेशी मेहमानों को व्यंजनों की भरमार का एहसास हो. भीड़भाड़ से बचने के लिए कैटरिंग सेक्शन को कई हिस्सों में बांटा गया है. खिलाड़ियों, इनके परिवार वालों, टेक्नीकल स्टाफ, मीडियाकर्मियों और वीआईपी लोगों के लिए खानपान का अलग अलग इंतजाम किया गया है.

विदेशों में प्रचलित बिना मिर्च मसाले वाले स्वाद और तीखे मसालों वाले भारतीय जायके के बीच संतुलन कायम करने के लिए पांच सितारा होटलों के मंझे हुए शैफ बुलाए गए हैं. त्यागराज, ध्यानचंद और सीरीफोर्ट स्टेडियम में कैटरिंग की जिम्मेदारी निभा रही कंपनी सेवन सीस के जनरल मैनेजर सुमित कपूर का कहना है "हमें इस नाजुक संतुलन को बनाने के लिए विदेशी खानसामे बुलाने की जरूरत नहीं पड़ी क्योंकि हमें अपने हुनर पर पूरा भरोसा है. हम अंतरराष्ट्रीय मानदंडों को बखूबी पूरा करेंगे."

श्यामा प्रसाद मुखर्जी स्टेडियम में इस काम को पूरा करने के लिए मुस्तैद आईआरसीटीसी की ओर से बताया गया कि खाने में किसी तरह की कमी की आशंका को दूर करने के लिए कम से कम पांच साल के अनुभव वाले खानसामों को ही खेलों के लिए नियुक्त किया गया है. भारतीय रेल में खानपान की जिम्मेदारी पूरी कर रही इस कंपनी के अधिकारियों ने बताया कि आयोजन के दौरान काम के दबाव को सफलतापूर्वक झेलने की तैयारी के लिए उनकी टीमें सुबह 8 बजे से आधी रात तक लगातार काम कर रहीं है. इसी मेहनत के बलबूते अधिकारियों को आयोजन की कामयाबी का पूरा भरोसा है.

रिपोर्टः पीटीआई/निर्मल

संपादनः ओ सिंह