कॉप23 का पर्यावरण पर नहीं होगा प्रतिकूल असर
२३ अक्टूबर २०१७जलवायु परिवर्तन से जुड़े सम्मेलनों में शिरकत करने के लिए दुनिया भर से बड़ी संख्या में लोग आयोजन स्थल पर पहुंचते हैं. चर्चा-परिचर्चाओं में शामिल होने आये इन मेहमानों का हवाई यात्राओं से लेकर, रहने, उठने-बैठने आदि से जुड़ी चीजों का भरपूर ख्याल रखा जाता है जिसका जाहिर तौर पर पर्यावरण पर असर पड़ता है. लेकिन जर्मनी के बॉन शहर में 6 नवंबर से 17 नवंबर तक चलने वाली कॉप23 की तैयारियों में इन सारे मसलों का पूरा ख्याल रखा जा रहा है.
शहर में कॉप23 सम्मेलन होना है जिसमें दुनिया के 195 देशों के लगभग 20 हजार लोग शिरकत करेंगे. इसलिए क्रॉन्फेंस को अधिक से अधिक पर्यावरण के अनुकूल बनाने पर जोर दिया जा रहा है. इसी दिशा में संयुक्त राष्ट्र के सभी कार्यकारी दल सम्मेलन से जुड़ी हर छोटी-बड़ी तैयारियों को सतत विकास के एजेंडे से जोड़ कर ही तैयार कर रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख उद्देश्यों में से एक है, "समाज को कार्बन या जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से तटस्थ बनाना" जो बॉन के इस सम्मेलन में नजर आ सकता है.
कैसे होगा बंदोबस्त
हालांकि सम्मेलन के दौरान ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में सबसे बड़ा हिस्सा होगा लंबी हवाई यात्राओं का. जब इतने सारे लोग शहर में रहेंगे तो उनके लिए अतिरिक्त ऊर्जा की भी आवश्यकता होगी. इसके इतर उन्हें लोकल ट्रांसपोर्ट मुहैया कराना भी एक बड़ा मुद्दा रहेगा. विशेषज्ञ कॉप23 के दौरान सतत विकास के एजेंडे पर जर्मन सरकार को सुझाव देते हुए कहते हैं कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए अधिक से अधिक उपाय अपनाने चाहिए, जहां तक संभव हो अक्षय ऊर्जा को प्रयोग किया जाना चाहिए.
विशेषज्ञों की राय
हालांकि विशेषज्ञ मानते हैं कि इन सब के बावजूद एक बड़ा हिस्सा ऐसा होगा जो उत्सर्जन में योगदान देगा, इसलिए सरकार को एक बड़े हिस्से का निवेश किसी दूसरी जगह चल रहे जलवायु संरक्षण कार्यक्रम में करना चाहिए. सम्मेलन के दौरान अधिक से अधिक सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल किया जाये इसलिए कॉप23 के कॉन्फ्रेंस परिसरों को शटल से जोड़ा जाना तय किया गया है. संयुक्त राष्ट्र की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबक, जर्मन सरकार, क्लीन डेवलपमेंट मैकेनिज्म के तहत कॉप23 के लिए उत्सर्जन क्रेडिट खरीद सकती है. संयुक्त राष्ट्र की क्लाइमेट न्यूटरल रहने की पहल भी इस दिशा में अहम रहेगी.
सम्मेलन के बाद कॉप23 के कॉर्बन फुटप्रिंट की गणना की जायेगी, जिसे संतुलित करने के लिए कदम उठाये जायेंगे. कॉर्बन फुटप्रिंट को इको मैनेजमेंट और ऑडिट स्कीम के तहत किसी बाहरी पर्यावरण एजेंसी द्वारा सत्यापित किया जायेगा.