कैसे होगी अंतरिक्ष की सफाई
1957 से अब तक इंसान पृथ्वी की कक्षा में करीब 7,000 उपग्रह भेज चुका है. इनमें से दो तिहाई बेकार हो चुकी हैं. उनके छोटे छोटे टुकड़े अंतरिक्ष में आफत फैला रहे हैं.
टक्कर का खतरा
सैटेलाइटों के टकराने से बना मलबा 40,000 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चक्कर काटता है. इतनी रफ्तार से चक्कर काटता एक मूंगफली का दाना भी टकराने पर ग्रेनेड जैसा असर करता है.
मंडराता संकट
अंतरिक्ष का कचरा पृथ्वी में पलने वाले जीवन के लिए भी खतरा है. अगर कोई बड़ा टुकड़ा वायुमंडल में दाखिल होते समय पूरी तरह नहीं जला तो काफी तबाही मचा सकता है.
धरती पर धड़ाम
इस तस्वीर में भी कुछ ऐसा ही नजारा दिखता है. गनीमत रही कि मलबा बेहद कम आबादी वाले रेगिस्तानी इलाके में गिरा.
सफाई कैसे
अंतरिक्ष में मौजूद कूड़े को साफ करने के लिए कई आइडिया पर काम हो रहा है. इन्हीं में से एक है गारबेज रोबोट. इस स्पेस रोबोट में एक हाथ होगा जो सैटेलाइट को पकड़ कर वापस धरती पर लेकर आएगा. यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ईएसए 2023 में इस रोबोट को लॉन्च करने की तैयारी कर रही है.
अंतरिक्ष में ही स्वाहा
एक दूसरा विचार है कि कचरे को वहीं जला दिया जाए. जर्मनी की अंतरिक्ष एजेंसी डीएलआर इसके लिये एक लेजर तकनीक विकसित कर रही है. लेजर शॉट से मलबे को वहीं भस्म कर दिया जाएगा.
जाल और लैसो इलेक्ट्रिक
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा एक इलेक्ट्रो नेट पर काम कर रही है. यह जाल एक बड़े इलाके में मौजूद कचरे को बांधेगा और फिर से धरती के वायुमंडल में लाएगा. पृथ्वी के वायुमंडल से दाखिल होते समय ज्यादातर कचरा खुद जल जाएगा. लेकिन इस विचार पर अभी ठोस काम होना बाकी है.
इलेक्ट्रोडायनैमिक सुरंग
इलेक्ट्रोडायनैमिक सुरंग जापान की अंतरिक्ष एजेंसी जाक्सा के पास इलेक्ट्रोडायनैमिक माइन का प्रपोजल है. 700 मीटर लंबी इलेक्ट्रोडायनैमिक सुरंग स्टेनलैस स्टील और एल्युमीनियम की बनी होगी. यह सुरंग कचरे की तेज रफ्तार परिक्रमा को धीमा करेगी और उसे धीरे धीरे वायुमंडल की तरफ धकेलेगी. रिपोर्ट: जुल्फिकार अबानी/ओएसजे