1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

चोरों से बचने का नायाब तरीका

सुजाने डिकल/एएम२९ जुलाई २०१४

20 साल पहले फ्रैंकफर्ट के शिर्न आर्ट म्यूजियम में चोरों ने हाथ साफ किया. अमूल्य पेंटिंग्स चोरी कर ली गईं. नीदरलैंड्स और फ्रांस में भी मशहूर कलाकारों की पेंटिंग्स चोर ले गए. अक्सर इन कलाकृतियों का बीमा भी नहीं होता.

https://p.dw.com/p/1CkkO
Symbolbild Laser
तस्वीर: Fotolia/lassedesignen

29 जुलाई 1994 के दिन फ्रैंकफर्ट के शिर्न आर्ट क्लब से कुछ पेंटिंग्स चोरी कर ली गईं. चोर एक रात पहले म्यूजियम में घुसे और अंदर ही बंद रहे. फिर पेंटिंग्स चोरी की और एक गार्ड को बांध दिया. कला के इतिहास की एक बड़ी चोरी.

अब हालात बदले हैं, म्यूजियमों ने चाक चौबंद सुरक्षा का इंतजाम किया है. सुरक्षा कंपनी सेक्यूरिटास के बैर्न्ड वाइलर बताते हैं, "इंसान और तकनीक की साझा मदद से ऐसा कुछ अब नहीं हो सकता. सेक्यूरिटास दुनिया भर के एयरपोर्टों, म्यूजियम, गैलेरियों और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स की सुरक्षा का इंतजाम करती हैं. वाइलर कहते हैं, "ऐसी तकनीकें हैं जो किसी के पेंटिंग के पास आते ही अलार्म बजाने लगती हैं. हलचल दिखाने वाले सेंसर हैं जो तभी एक्टिवेट होते हैं जब कुछ गर्म आसपास आए. ऐेसे ही हाई रिसोल्यूशऩ कैमरा होते हैं जो ऊष्मा से एक्टिवेट होते हैं. फिर कंप्यूटर पर देखा जाता है कि क्या कोई चूहा है या इंसान पेंटिंग के आसपास है. अगर इंसान हो तो फिर कंट्रोल सेंटर को चेतावनी भेजी जाती है. वहां से पुलिस को फोन किया जा सकता है.

पहरेदारों की जरूरत

लेकिन क्या सिर्फ तकनीक से काम चल सकता है, क्योंकि आजकल हैकिंग आम बात हो गई है. वाइलर इसके जवाब में कहते हैं, "सिस्टम वैसे तो काफी सुरक्षित होते हैं और उनमें कुछ ऐसा होता है जो रात भर बिना बिजली के कंप्यूटर को चला सकता है. भले ही कोई पीछे से लाइन काट दे." हालांकि वो ये भी कहते हैं कि बिना गार्ड्स के कोई म्यूजियम काम नहीं कर सकता, क्योंकि उनकी उपस्थिति भी चोरों को डराने का काम कर सकती है.

इसके अलावा बीमा भी आजकल काफी मजबूत हो गया है. किसी भी प्रदर्शनी से पहले मशहूर कलाकारों की पेंटिंग्स की कीमत आंकी जाती है और ये भी देखा जाता है कि उनकी सुरक्षा कैसे की जा रही है. गैलेरियों और आर्ट क्लबों के लिए बीमा करने वाली कंपनी आर्टेकुरांस के बैर्न्ड सीगेनरुकर बताते हैं कि बीमा करते वक्त "हम देखते हैं कि थेफ्ट अलार्म है कि नहीं. नहीं तो हम बीमा ही नहीं करते." वो कहते हैं कि भले ही तकनीक अच्छी हो गई हो, लेकिन कई जगह गड़बड़ी है, "स्टैंडर्ड अच्छा हुआ है लेकिन सबके यहां नहीं."

वैसे तो चोरी की हुई पेंटिंग्स को बेचना आसान नहीं है, खासकर तब जब वो मशहूर कलाकारों की हों. इसलिए कुछ पेंटिंग्स फिर से मिल ही जाती हैं. हालांकि कई बार किसी आदमी को पैसे देकर ये कलाकृतियां खरीदनी पड़ती हैं. सीगेनरुकर मानते हैं कि कम मशहूर कलाकारों की पेंटिंग्स आसानी से चोरी होती हैं. वह कहते हैं, "अगर म्यूजियम के पास कोई निवेशक नहीं हो तो चीजें गायब होनी शुरू हो सकती हैं. शार्लोटनबुर्ग नाम के मशहूर किले से कई साल एक कर्मचारी धीरे धीरे कर महंगे चीनी मिट्टी के बर्तन ले गया और इन्हें नीलाम करवा दिया."

इस तरह के मामले में बीमा कंपनी मदद करती है. आग लगने, लूट या किसी और तरह की क्षति होने पर इंश्योरेंस कंपनी पैसे देती है. हालांकि परमाणु ऊर्जा या फिर युद्ध के कारण खराब होने की स्थिति में इंश्योरेंस नहीं मिलता. जहां तक सरकारी संग्रहालयों की बात है उनका बिलकुल इंश्योरेंस नहीं होता. बड़ा नुकसान अधिकतर ट्रांसपोर्ट के दौरान होता है. भले ही कितनी सुरक्षा कर ली जाए लेकिन अपने में खोए दर्शक और चॉकलेट से भरे हाथ वाले बच्चों से भी पेंटिंग को नुकसान तो पहुंच ही सकता है.