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शरणार्थी आवेदन की प्रक्रिया

केऐ शॉलत्स/आईबी२ मई २०१५

जर्मनी में फिलहाल इतने शरणार्थी आवेदन आए हुए हैं, जितने अब तक कभी भी दर्ज नहीं किए गए. लेकिन आवेदन की प्रक्रिया आखिर होती कैसी है?

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Deutschland Erste Anlaufstelle für Flüchtlinge in Berlin
तस्वीर: picture-alliance/dpa/B. Pedersen

जो लोग बतौर शरणार्थी जर्मनी आना चाहते हैं उन्हें बहुत से कागजी काम करने पड़ते हैं. सबसे पहले तो उन्हें किसी सीमा अधिकारी या पुलिस या फिर किसी अन्य आप्रवासन अधिकारी के पास जाकर अर्जी देनी होती है. इसके बाद ये सभी आवेदन सामूहिक शरणार्थी स्थलों में भेजे जाते हैं. कितने लोगों को किस किस राज्य में भेजा जा सकता है, इस सबके लिए कुछ नियम तय किए गए हैं. सरकार चाहती है कि शरणार्थियों को सभी 16 राज्यों में बराबरी से बांटा जाए. जिस राज्य में जितने ज्यादा लोग रहते हैं, उतने ही ज्यादा शरणार्थी भी वहां भेजे जाते हैं. मिसाल के तौर पर नॉर्थ राइन वेस्टफेलिया में 21 प्रतिशत शरणार्थी हैं, जबकि ब्रैंडनबर्ग में मात्र तीन फीसदी. फिर इस बात पर भी निर्भर करता है कि किस शरणार्थी स्थल में कितनी जगह बाकी है. हर किसी को हर जगह तो नहीं ठहराया जा सकता.

पहले पहचान

देश में प्रवेश कर जाने के बाद शरणार्थियों को सबसे पहले एक सामूहिक स्थल में ठहराया जाता है. अक्सर यहां चारों तरफ बाड़ लगी होती है. पुलिस, डॉक्टर और अन्य लोग मदद के साथ मौजूद होते हैं. खाने के लिए कैंटीन, रात गुजारने के लिए बड़ा सा सामूहिक हॉल. हर व्यति को 6.5 वर्गमीटर की जगह दी जाती है. खाने के अलावा, कपड़े, दवाएं और अन्य चीजें भी मुहैया कराई जाती हैं. बच्चों के लिए स्कूल का भी इंतेजाम किया जाता है. यहां लोगों की पूरी फाइलें तैयार होती हैं. फोटो खींची जाती है, उंगलियों के निशान दर्ज किए जाते हैं. इस सारी जानकारी से पुलिस पता लगाती है कि कहीं किसी व्यक्ति ने किसी दूसरी जगह भी आवेदन तो नहीं दिया हुआ है.

इसके बाद आवेदनकर्ताओं के साथ बातचीत की जाती है. यदि वे संवाद की भाषा नहीं जानते तो एक अनुवादक भी नियुक्त किया जाता है. इस पूरे इंटरव्यू को प्रोटोकॉल किया जाता है. इसके बाद ही तय होता है कि प्रक्रिया शुरू करनी है या नहीं. क्योंकि कई बार आवेदन गलत होते हैं या फिर सही क्षेत्र के अंतर्गत नहीं आते. कई बार जर्मनी में आए लोग किसी और देश की जिम्मेदारी होते हैं. ऐसे में आवेदन स्वीकार नहीं किया जाता और उन्हें वापस भेज दिया जाता है.

फिर इंतजार

स्वीकार किए जाने पर उन्हें तीन महीने उसी सामूहिक स्थल में रहना होता है. उसके बाद कंप्यूटर आकंड़ों के अनुसार तय करता है कि उन्हें किस राज्य में भेजा जाना है. कई जगहों पर सरकार ने खास तौर से शरणार्थियों के लिए अपार्टमेंट बनवाए हैं, तो कई निजी घर हैं जो लोगों के सहयोग से उपलब्ध हुए हैं. कई संस्थाएं भी शरणार्थियों को ठिकाने दिलवाने में मददगार होती हैं. अक्सर लोग अपने परिवारजनों के साथ ही रहने की मांग करते हैं. अगर पति पहले से किसी राज्य में रह रहा है, तो पत्नी और बच्चों को भी वहीं भेजा जाता है. लेकिन इसके आलावा अन्य रिश्तेदारों को भी ध्यान में रख जगह खोजना मुमकिन नहीं हो पाता.

पूरे परिवार को अपार्टमेंट दिलवाने की कोशिश रहती है. लेकिन नौकरी दिलवाना मुश्किल है. 15 महीने तक हर महीने 352 यूरो प्रति व्यक्ति दिया जाता है. इसके अलावा किराये का खर्च भी सरकार उठाती है. कुछ और आर्थिक मदद भी दी जाती है लेकिन बिना नौकरी के गुजर बसर बेहद मुश्किल है. पैसा राज्य सरकार से मिलना है या फिर नगर पालिका से, इसके नियम हर जगह अलग हैं.

और फिर फैसला

वैसे तो आवेदन की प्रक्रिया को पूरा होने में तीन महीने से ज्यादा का समय नहीं लगना चाहिए लेकिन मौजूदा हालात में बहुत ही ज्यादा समय खर्च हो रहा है, कई बार तो एक साल से भी ज्यादा. सरकार के पास इतने आवेदन आए हैं कि उनकी पहचान पुख्ता करने में काफी वक्त चला जाता है. लेकिन सीरिया और इराक से आने वालों की पहचान करना इतना मुश्किल नहीं है. आवेदन स्वीकार हो जाने पर तीन साल तक देश में रहने की अनुमति मिल जाती है. इसके बाद दोबारा से आवेदन देना होता है. यह वीजा की प्रक्रिया जैसा ही है.

कुछ खास मामले भी होते हैं. जैसे जिन लोगों को अपने देश में उत्पीड़न या मौत की सजा का डर है, वे भी जर्मनी में शरण के लिए आवेदन दे सकते हैं. इन आवेदनों को प्राथमिकता दी जाती है और एक साल के लिए देश में रहने का वीजा भी. उसके बाद दोबारा से मामले की जांच होती है. ऐसा ही गृहयुद्ध से जूझ रहे लोगों के साथ भी होता है. किसी भी कारणवश आवेदन अस्वीकार किया जा सकता है. हालांकि यदि व्यक्ति के पास कोई पहचान पत्र, जैसे कि पासपोर्ट, नहीं है या फिर उसके देश में हवाई सेवा उपलब्ध नहीं है, तो ऐसे में उसे तब तक देश में रहने की इजाजत दी जाती है जब तक हालात बदल नहीं जाते. इस बीच अगर इस व्यक्ति का जर्मन निवासी के साथ बच्चा हो जाता है, तो उसे वापस नहीं भेजा जा सकता.