गायिका से अभिनेत्री बनी मोनाली
१५ मार्च २०१४मोनाली ठाकुर इससे पहले एक बांग्ला फिल्म में काम कर चुकी हैं. पहली ही फिल्म नागेश कुकनूर जैसे निर्देशक के साथ हो तो किसी भी अभिनेत्री का इतराना स्वभाविक है. लेकिन मोनाली के पांव अब भी जमीन पर हैं. इस फिल्म में उन्होंने एक सेक्सवर्कर की भूमिका निभाई है. लक्ष्मी के प्रमोशन के लिए इस सप्ताह कोलकाता पहुंची अभिनेत्री ने डॉयचे वेले के कुछ सवालों के जवाब दिए. पेश हैं इस बातचीत के मुख्य अंशः
लक्ष्मी कैसी फिल्म है?
यह मानव तस्करी और बाल वेश्यावृत्ति पर आधारित है. लक्ष्मी नामक एक युवती ऐसे ही एक गिरोह के जाल में फंसकर वेश्यावृत्ति की गुमनामी में धकेल दी जाती है. फिल्म में इस किरदार के संघर्ष का चित्रण किया गया है. इसकी कहानी कई सच्ची कहानियों को मिला कर बुनी गई है.
अपनी पहली फिल्म के लिए आपने ऐसा किरदार क्यों चुना?
यह कहना ज्यादा सही होगा कि किरदार ने मुझे चुना. इसके अलावा जब नागेश सर जैसा निर्देशक ऑफर दे तो आप उसे ठुकराने की स्थिति में नहीं होते. यह किरदार अनूठा और चुनौतीपूर्ण है. इसकी कहानी काफी चुस्त है. मुझे इस फिल्म से काफी कुछ सीखने को मिला है.
पहली बार कैमरे का सामना करते हुए असहज नहीं महसूस हुआ?
देखिए, मैंने फिल्मों में भले गायिका के तौर पर कदम रखा था. लेकिन मैं कैमरे के सामने भी उतनी ही सहज हूं जितना माइक्रोफोन के सामने. मुझे नृत्य करना भी पसंद है. मैं समझती हूं कि संगीत, अभिनय और नृत्य सभी एक दूसरे से जुड़े हुए हैं.
आपको यह भूमिका कैसे मिली. क्या इसके लिए ऑडिशन दिया था?
हां, ऑडिशन तो बाद में दिया था, लेकिन उससे पहले ही मेरा चयन लगभग तय हो गया था. एक मित्र के घर क्रिसमस पार्टी में नागेश जी मुलाकात हुई थी. वे लगातार मुझे घूरे जा रहे थे. इससे मैं कुछ असहज हो गई थी. लेकिन एक महीने बाद मुझे फोन से अभिनय का प्रस्ताव मिला तो मैं आश्चर्यचकित रह गई, मुझे अभिनय के बारे में सोचकर रोमांच महसूस हुआ. लेकिन तब तक मैं न तो कहानी के बारे में जानती थी और न ही निर्देशक के. बाद में पता चला कि नागेश जी ने बांग्ला फिल्मोद्योग में मेरे अभिनय के बारे में काफी जानकारियां हासिल की थीं. उन्होंने बाद में ऑडिशन के समय मुझे यह सब बताया. उन्होंने कहा कि तुमको अभिनय का अनुभव है. तुम लक्ष्मी के किरदार में पूरी तरह फिट बैठ सकती हो.
इस फिल्म के लिए चुने जाने पर कैसा महसूस हुआ?
इस एहसास को शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता. ऑडिशन के तुरंत बाद उन्होंने औपचारिक रूप से मेरे चयन पर मुहर लगा दी.
फिल्म की शूटिंग के दौरान अनुभव कैसा रहा?
यह एक बेहतरीन अनुभव था. मुझे पहली बार पता चला कि मैं दिल से अभिनय करना चाहती हूं. नागेश जी काफी अनुशासन पसंद व्यक्ति हैं. शूटिंग के दौरान लग रहा था कि मैं किसी स्कूल में हूं जहां रोजाना कुछ न कुछ नया सीखने को मिलता है. सतीश कौशिक, शेफाली शाह और राम कपूर जैसे सितारों के साथ काम करके भी बहुत कुछ सीखने को मिला. वह सभी बेहद पेशेवर हैं लेकिन हर कदम पर मेरा मनोबल बढ़ाते रहे.
क्या अब गायन छोड़ कर पूरी तरह अभिनय में ही डूबने का इरादा है?
ऐसा नहीं है. लक्ष्मी में भी मैंने एक गीत गाया है. बांग्ला फिल्मों में भी गीत गाती रहूंगी. गायन और अभिनय में संतुलन बनाते हुए आगे बढ़ने का इरादा है.
भावी योजना?
एक और फिल्म में काम कर रही हूं. उसकी शूटिंग भी चल रही है. उम्मीद है दर्शक इस नई भूमिका में मुझे पसंद करेंगे.
इंटरव्यू: प्रभाकर, कोलकाता
संपादन: महेश झा