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मोनसैंटो को 8 करोड़ डॉलर का हर्जाना देने का आदेश

२८ मार्च २०१९

बीज और कीटनाशक बेचने वाली दिग्गज बहुराष्ट्रीय कंपनी मोनसैंटो को अमेरिकी अदालत ने कैंसर फैलाने का दोषी पाया है. अदालत के मुताबिक कैंसर के जोखिम के बावजूद कंपनी चेतावनी देने में नाकाम रही.

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Symbolbild: Monsanto Roundup
तस्वीर: Getty Images/AFP/J. Edelson

अमेरिका की संघीय अदालत ने मोनसैंटो को आदेश दिया है कि वह कैलिफोर्निया के किसान को 8 करोड़ डॉलर का हर्जाना दे. अदालत में यह बात साबित हो गई कि मोनसैंटो के मशहूर खरपतवार नाशक 'राउंडअप' ने किसान को कैंसर की बीमारी देने में आंशिक भूमिका निभाई.

छह सदस्यों वाली पीठ इस नतीजे पर पहुंची कि किसान की बीमारी के लिए मोनसैंटो जिम्मेदार है. कंपनी ने अपने खरपतवार नाशक पर यह चेतावनी नहीं लिखी थी कि उसका उत्पाद कैंसर का जोखिम पैदा कर सकता है.

इस फैसले को राउंडअप से जुड़े हजारों मामलों में मील का पत्थर माना जा रहा है. राउंडअप में ग्लाइफोसैट नाम का एक रासायनिक मिश्रण है. खरपतवार और घास फूस को खत्म करने के लिए इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है.

Unkrautvernichtungsmittel
कई देशों में इस्तेमाल किया जाता है राउंडअपतस्वीर: picture-alliance/dpa/XAMAX

मोनसैंटो पर मुकदमा दायर करने वाले वादी एडविन हार्डेमन 70 साल के हैं. हार्डेमन के मुताबिक उन्होंने अपनी जमीन पर खरपतवार और बलूत के पौधों को मिटाने के लिए 26 साल तक राउंडअप का इस्तेमाल किया. 2015 में पता चला कि हार्डेमन को नॉन-हॉजकिन्स लिमफोमा है. यह एक तरह का ब्लड कैंसर है.

2016 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की कैंसर पर रिसर्च करने वाली एजेंसी ने दावा किया कि ग्लाइफोसैट एक संभावित कारसिनेजिन है. कारसिनेजिन, कैंसर या उसका जोखिम पैदा करने वाले तत्व को कहा जाता है. WHO की एजेंसी के दावे के बाद हार्डेमन ने मोनसैंटो पर मुकदमा दायर कर दिया.

हार्डेमन की वकीलों में शामिल जेनिफर मूर के मुताबिक मोनसैंटो ने राउंडअप के सेहत पर बुरे असर से जुड़े वैज्ञानिक शोधों को भी लगातार नजरअंदाज किया.

मोनसैंटो पर ठोंका गया हर्जाना जर्मन कंपनी बायर को चुकाना होगा. 2018 में बायर ने अमेरिकी कंपनी मोनसैंटो को 63 अरब डॉलर में खरीदा. अब जर्मन कंपनी को मोनसैंटो से जुड़े सारी कानूनी विवादों का दंड भुगतान करना होगा. बायर ने सैन फ्रांसिस्को की अदालत के फैसले के खिलाफ अपील करने का एलान किया है.

(मुनाफे के लिए किस हद तक जा सकती हैं कंपनियां)

ओएसजे/एए (एएफपी, एपी)