कुदरती सुंदरता विरुंगा नेशनल पार्क
कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य का यह नेशनल पार्क सिर्फ देश ही नहीं, बल्कि आस पास के लोगों के बीच भी लोकप्रिय है. यहां शानदार प्राकृतिक अभयारण्य हैं. लेकिन यहां से तेल निकालने की चर्चा ने विवाद पैदा कर दिया है.
तेल के लिए खनन नहीं
विरुंगा के पर्यावरणविदों को इस बात की संतुष्टि मिली है कि इंग्लैंड की कंपनियां जहां तहां खोद कर तेल का पता नहीं लगा पाएंगी. सोको कंपनी के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया. यूनेस्को ने विरुंगा को विश्व धरोहर घोषित कर रखा है.
प्राकृतिक संरक्षण का इतिहास
खुदाई से एडवर्ड झील को भारी नुकसान होता, जहां विरुंगा पार्क यूगांडा की सीमा से मिलता है. यहां सक्रिय ज्वालामुखी भी हैं, उष्णकटिबंधीय वन, सवाना और बर्फ में लिपटी पहाड़ियां भी हैं. यूनेस्को ने इसे 1979 में ऐतिहासिक धरोहर घोषित कर दिया.
तेल रिसाव का खतरा
लेक एडवर्ड 50,000 परिवारों को पीने और पकाने का पानी देता है. यहां मछलियां भी हैं, जो कावानयोंगी जैसे गांवों में खाने और कारोबार का साधन हैं. कई लोगों का मानना है कि यहां खुदाई से पानी प्रदूषित हो सकता है.
नई जिंदगी
लेक एडवर्ड के ही दक्षिण में विस्थुमी बाजार में यहां की महिलाएं मछली बेचती हैं. कांगो गणराज्य में संघर्ष के बाद कई लोग यहां टिक गए हैं. इस पार्क में भी कई बार भारी लड़ाई हुई. बाद में विस्थापितों ने अपना अलग आशियाना बना लिया.
गुरिल्लाओं का बसेरा
विरुंगा नेशनल पार्क में 200 पहाड़ी गुरिल्ले रहते हैं. उन्हीं की वजह से इस पार्क को विश्व धरोहर घोषित किया गया. लेकिन उनकी जिंदगी आज भी महफूज नहीं. शिकारी उन्हें आज भी निशाना बना रहे हैं. इनका मीट बहुत महंगा बिकता है.
खतरे में जंगल
इस जगह पर चिड़ियों की 700 और पौधों की 2000 प्रजातियां मिलती हैं. ये भी विलुप्त होने की कगार पर हैं. यहां से लगातार लकड़ियां काटी जा रही हैं. आरोप है कि लकड़ियों की तस्करी वाले पैसे से ही हथियार खरीदे जाते हैं.
लोकल लोगों से मदद
पार्क के निदेशक इमानुएल डी मेरोदो का कहना है कि स्थानीय लोगों को संरक्षण का आर्थिक महत्व भी बताना होगा. वह पार्क में पनबिजली संयंत्र लगाने का समर्थन करते हैं लेकिन तेलों की खुदाई का विरोध.
बड़े काम का पार्क
वैसे विरुंगा नेशनल पार्क के कई आर्थिक फायदे हैं. विश्व वन्यजीव संगठन का अनुमान है कि यहां 45,000 रोजगार पैदा किए जा सकते हैं, जो पनबिजली, मछली पालन और ईकोटूरिज्म जैसे क्षेत्रों में हो सकते हैं.
खोई हुई पीढ़ी
यह जगह हिंसा और विकास की मिसाल बन सकती है. यह अफ्रीका के सबसे गरीब इलाकों में है, जहां दशकों से संघर्ष चल रहा है. नई पीढ़ी इसे बदलना चाहती है.