किस किसने भारत को असहिष्णु कहा
एनडीए सरकार के सत्ता में आने के बाद से असहिष्णुता की बहस जारी है. एक के बाद एक ऐसी घटनाएं होती रही हैं जिन्होंने बहस की आग में घी डाला है. जानिए, किस किस हस्ती को लगता है भारत असहिष्णु हो गया है.
रतन टाटा, उद्योगपति
"मुझे लगता है कि हर कोई जानता है कि असहिष्णुता कहां से आ रही है और क्या है. लाखों करोड़ों भारतीयों की तरह देश को सहिष्णु देखना चाहता हूं. हम एक ऐसे माहौल में रहना चाहते हैं जहां हम एक दूसरे से प्यार करें."
आमिर खान, अभिनेता
अब डर का अहसास पहले से ज्यादा है. मैं भी कुछ असुरक्षा महसूस करता हूं. जब मैं घर पर किरन (पत्नी) से बात करता हूं, और हमने अपनी पूरी जिंदगी भारत में बिताई है, पहली बार उसने कहा कि क्या हमें भारत से किसी दूसरे देश में जाना चाहिए. यह बहुत बड़ी और दुखद बात ती.
दिबाकर बनर्जी, फिल्मकार
मैंने इतनी सारी घटनाएं एक साथ होती नहीं देखी हैं. यह एक संकेत है कि किस चीज की शुरुआत हो रही है. और इसलिए मुझे लगता है कि देश भर के लोग अलग अलग तरीके से अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं.
शाहरुख खान, अभिनेता
असहिष्णुता है. बहुत ज्यादा असहिष्णुता है. और मुझे लगता है कि यह लगातार बढ़ रही है. असहिष्णु होना मूर्खता है. यह हमारा सबसे बड़ा मुद्दा है. धार्मिक असहिणुता और धर्मनिरपेक्षता का विरोध सबसे खराब अपराध हैं जो आप एक देशभक्त होकर कर सकते हैं.
रामचंद्र गुहा, इतिहासकार
हम एक असहिष्णु देश बन रहे हैं. ऐसा नहीं है कि कभी सहिष्णुता का स्वर्णिम काल रहा हो लेकिन अब हम ज्यादा असहिष्णु हो गए हैं. अब हिंसा ज्यादा हो रही है.
अमर्त्य सेन, अर्थशास्त्री
भारत असहिष्णु हो रहा है. असहिष्णुता के प्रति हम कुछ ज्यादा ही सहिष्णु हो गए हैं. यह सब खत्म होना चाहिए. हमें ऐसी असहिष्णुता को सहन नहीं करना चाहिए जो हमारे लोकतंत्र को ही कमजोर करती है.
उदय प्रकाश, लेखक
पिछले समय से हमारे देश में लेखकों, कलाकारों, चिंतकों और बौद्धिकों के प्रति जिस तरह का हिंसक, अपमानजनक, अवमानना पूर्ण व्यवहार लगातार हो रहा है, उसने मेरे जैसे अकेले लेखक को भीतर से हिला दिया है।
करन जौहर, फिल्मकार
मुझे तो लगता है जैसे हमेशा कोई लीगल नोटिस मेरा पीछा करता रहता है. किसी को पता नहीं कब उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो जाए.
महेश भट्ट, फिल्मकार
असहिष्णुता की जो विचारधारा महात्मा गांधी के कत्ल के लिए जिम्मेदार थी, वह ट्विटरलैंड पर आज भी जिंदा है. असहिष्णुता हमारे लोकतंत्र के लिए खतरनाक है.
अनुराग कश्यप, फिल्मकार
देश में हमेशा असहिष्णुता रही है. हमें अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है. हमें इसके साथ ही जीना है. इससे लड़ने में अपनी तरफ से कोशिश करनी है. और इसका हिस्सा बनने से इनकार कर देना है. उम्मीद है यह कभी खत्म होगी.