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किर्गिस्तान में गृहयुद्ध की आशंका

१५ जून २०१०

दक्षिण किर्गिस्तान में जातीय हिंसा से भागने वाले शरणार्थियों की संख्या इस बीच एक लाख तक पहुंचने वाली है.इसे पिछले बीस साल में इस इलाके का सबसे भयानक संघर्ष कहा जा रहा है.

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शरणार्थियों की बाढ़तस्वीर: AP

पिछले गुरुवार को दक्षिण किर्गिस्तान के ओश और जलालाबाद नगरों में किर्गीज़ और उज़बेक समुदाय के लोगों के बीच हिंसा भड़क उठी थी, जो देखते ही देखते समूचे इलाके में फैल गई. सरकारी तौर पर मृतकों की संख्या 170 बताई गई है, लेकिन वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है.

हालांकि मंगलवार को ओश में स्थिति अपेक्षाकृत शांत बताई गई है, लेकिन विभिन्न तबकों में आशंका व्यक्त की जा रही है कि देश एक गृहयुद्ध में फ़ंस सकता है. रूसी प्रभुत्व वाले मध्य एशियाई देशों के संगठन सीएसटीओ की मास्को में सोमवार को हुई बैठक में भी किर्गिस्तान की स्थिति पर विचार किया गया. कई मध्य एशियाई देशों ने किर्गिस्तान की मदद के लिए हेलिकॉप्टर व अन्य सैनिक साज़ सामान भेजने का प्रस्ताव रखा है. साथ ही उन्होंने संकेत दिया है कि ज़रूरत पड़ने पर सैनिक भी भेजे जा सकते हैं.

संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत मिरोस्लाव येन्का ने पत्रकारों को बताया कि उज़बेक सूत्रों से प्राप्त सूचनाओं के अनुसार वहां शरणार्थियों की संख्या फ़िलहाल 75 हज़ार है. लेकिन यह संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, व जल्द ही एक लाख की सीमा पार कर लेगी. उन्होंने कहा कि सुरक्षा की दयनीय स्थिति के कारण दक्षिण किर्गिस्तान में स्थिति का आकलन संभव नहीं हो सका है.

इस क्षेत्र में फ़रगना घाटी किर्गिस्तान व उज़बेकिस्तान के बीच बंटी हुई है. किर्गिस्तान की आबादी में उज़बेक समुदाय का अनुपात लगभग साढ़े चौदह प्रतिशत है. लेकिन ओश और जलालाबाद के इर्दगिर्द दोनों समुदायों की आबादी लगभग बराबर है.

अंतरिम सरकार ने सूचित किया है कि विदेशी नागरिकों को वहां से हटाने की कोशिश की गई है. बाहर लाए गए विदेशियों में चीन के 200 और भारत के 198 नागरिक थे. इसके अलावा तुर्की, पाकिस्तान, यूरोपीय संघ के देशों, अफ़ग़ानिस्तान व तुर्कमेनिस्तान के नागरिकों को वहां से हटाया गया है.

संघर्ष के कारण समूचे क्षेत्र में ज़रूरी चीज़ों व खाद्यसामग्रियों की भारी कमी पैदा हो गई है. जर्मनी व पाकिस्तान की ओर से उपद्रवग्रस्त क्षेत्र के लिए राहत सामग्रियां भेजी गई हैं. मंगलवार को चीन से खाद्यसामग्रियों और दवाइयों की खेप पहुंचने वाली है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ

संपादन: राम यादव