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कितनी सही है लव जिहाद की बहस

मुरली कृष्णन
२ नवम्बर २०१७

केंद्र सरकार की राष्ट्रीय जांच एजेंसी इन दिनों अंतर-धार्मिक विवाहों में "लव जिहाद" जैसे मामलों की जांच कर रही है. एजेंसी का दावा है कि आंतकी संगठन महिलाओं को इस्लाम अपनाने के लिए बहला फुसला रहा हैं.

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Indien Bombay Massenhochzeit von Muslimen
तस्वीर: Imago/Hindustan Times

भारत सरकार की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि वह केरल में 90 मामलों की जांच कर रही है. एजेंसी के मुताबिक ये वे मामले हैं जिनमें पिछले दो सालों के दौरान हिंदू महिलाओं को कथित तौर पर इस्लाम अपनाकर मुसलमानों के साथ शादी करने के लिए मजबूर किया गया. एनआईए ने कहा कि उसके पास यह जांचने के भी अधिकार हैं कि क्या ये समूह लाचार और कमजोर हिंदू महिलाओं को आतंकी संगठनों में तो शामिल नहीं कर रहे.

एनआईए की पूरी कार्रवाई 24 साल की अखिला अशोकन के मामले के बाद सामने आयी है. अखिला ने एक मुस्लिम युवक सफीन जहान से दिसंबर 2016 में शादी कर इस्लाम अपना लिया था और अपना नाम बदल कर हादिया रख लिया था. लेकिन लड़की के हिंदू पिता ने इस पर शिकायत दर्ज करायी, जिस पर सुनवाई करते हुए केरल हाई कोर्ट ने इस शादी को अवैध करार दिया. हाई कोर्ट ने इसे "लव जिहाद" की संज्ञा देते हुए लड़की को उसके घरवालों के पास वापस भेज दिया. इसके बाद लड़की के पति की अर्जी पर अब सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है जिसमें लड़की हादिया को कोर्ट में पेश करने के लिए कहा गया है. हालांकि इस पूरे मसले ने वयस्कों के निजी जीवन में न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र और शक्तियों पर नयी बहस छेड़ दी है.

Indien Hindu-Nationalisten Protest
तस्वीर: picture alliance/dpa/R. Gupta

शादी या आतंकी खतरा?

केरल में इन दिनों मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार है. पार्टी से जुड़े फवाद हलीम लव जिहाद के पूरे मसले को वोट बैंक की राजनीति से जुड़ा मानते हैं. उन्होंने कहा, "यह हिंदुवादी गुटों द्वारा दो समुदायों के बीच गलतफहमियां और नफरत पैदा करने का तरीका है." वहीं जांच दल एनआईए के मुताबिक उन्हें यह पैटर्न नजर आया जिसके तहत युवा हिंदू लड़कियों को बहला-फुसला कर इस्लाम अपनाने के लिए मना लिया जाता है. एनआईए के एक उच्च अधिकारी ने डीडब्लयू को नाम न बताने की शर्त पर कहा, "यह कुछ नहीं बल्कि एक तरह का मनोवैज्ञानिक अपहरण है. हमें केरल में इस तरह के कुछ मामले नजर आये हैं." अब तक एजेंसी ने दो हिंदू लड़कियों के बयान दर्ज किये हैं जिन्होंने कहा है कि उन्हें कथित रूप से इस्लाम अपनाने के लिये बहलाया-फुसलाया गया था. एक लड़की के मुताबिक वह विवादित इस्लामिक प्रचारक जाकिर नाइक के वीडियो से प्रभावित हुई थी. इन दोनों मामलों में जांच एजेंसी को कट्टरपंथी मुस्लिम संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और इसकी राजनीतिक शाखा सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) की भूमिका पर संदेह है. वहीं गृह मंत्रालय फिलहाल इन संगठनों के प्रतिबंध पर विचार कर रही है. एक अधिकारी के मुताबिक, "इन दिनों हम पीएफआई की महिला विंग अध्यक्ष की भूमिका की भी जांच कर रहे हैं." हालांकि एजेंसी को न्यायालय में यह साबित करने के लिए ऐसे सबूत हासिल करने होंगे जो धर्मांतरण से जुड़ी बातचीत को साबित करते हों.

क्या है "लव जिहाद"

धुर हिंदूवादी संगठन, हिंदू महिलाओं के इस्लाम में धर्मांतरण को "लव जिहाद" मानते हैं. इन संगठनों का मानना है कि मुस्लिम पुरुष, हिंदू महिलाओं को विवाह करने के लिए बहलाते-फुसलाते हैं. इसके बाद इन्हें इस्लाम अपनाने के लिए मजबूर करते हैं और इनके साथ कई बच्चे पैदा कर इन्हें छोड़ देते हैं. केरल के संदर्भ में ये संगठन आरोप लगाते हुए कहते हैं कि यहां लड़कियों को आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) में काम करने भी भेज दिया जाता है. राज्य में पैर जमाने की कोशिश करती भारतीय जनता पार्टी भी राजनीतिक लाभ लेने के लिए इस दावे का समर्थन करती नजर आ रही है.

"लव जिहाद" शब्द की उत्पति कई सालों पहले दक्षिण भारत में हुई थी और तब इस ट्रेंड पर काफी चर्चा भी की गयी. लेकिन जल्द ही यह साफ हो गया कि उस वक्त भी तमाम महिलाओं ने अपनी मर्जी से इस्लाम को अपनाया है. लेकिन हिंदूवादी संगठन भय को उकसाने के लिए ऐसी कहानियों का इस्तेमाल करते रहे. हालांकि इस पूरे मसले पर सबका अलग-अलग रुख है. महिलावादी और कई अधिकार समूह इसे ब्रांडिंग मानते हुए हैरानी जाहिर करती हैं. डीडब्लयू से बातचीत में लेखिका और महिला कार्यकर्ता सादिया दल्वी कहती हैं कि यह लव जिहाद शब्द ही अपमानजनक है. उन्होंने कहा, "हमें यह समझना चाहिए की यह हादिया की स्वतंत्रता का मसला है, लेकिन अब उसकी शारीरिक स्वतंत्रता पर कटौती की जा रही है. आज वह अपने पिता के घर में एक कैदी है."

बढ़ता धार्मिक तनाव

केरल के बीजेपी अध्यक्ष कुममेनम राजशेखरन ने डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा कि जब तक राज्य के मुख्यमंत्री पिनारई विजयन कड़े कदम नहीं उठायेंगे, तब तक राज्य में हिंदू महिलाएं सुरक्षित नहीं रहेंगी. केरल से पिछले साल एक 21 सदस्यीय समूह बड़े ही रहस्यमय तरीके से अपना घरबार छोड़कर आईएस में दाखिल होने के लिए निकल गया था. इस मामले के बाद से ही केरल लगातार विवादों में रहा है. पुलिस के मुताबिक इस समूह में 6 महिलायें और तीन बच्चे भी थे, लेकिन इन बच्चों की मौत अफगानिस्तान और सीरिया में आईएस की ओर से लड़ते हुए हो गयी. पिछले लंबे समय से मुस्लिमों और हिंदुओं के बीच केरल में तनातनी  बढ़ी है और कई मौकों पर इन तनावों ने सांप्रदायिक हिंसा को भी बढ़ावा दिया है.