1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

क्या सही है जिहादियों पर ड्रोन हमला?

शबनम सुरिता
९ सितम्बर २०१५

सीरिया में जिहादियों को मारने के लिए रॉयल एयरफोर्स द्वारा ड्रोन के इस्तेमाल पर लंदन में गंभीर बहस छिड़ गई है. डीडब्ल्यू के ग्रैहम लूकस बताते हैं कि इन हत्याओं पर राष्ट्रीय सुरक्षा हितों और ब्रिटेन के कानून में टकराव है.

https://p.dw.com/p/1GTku
Taranis britische Kampfdrohne Großbritannien
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Bae Systems

ब्रिटेन के रक्षा मंत्री मिशाएल फैलन पहले ही एक ऐसी सूची के बारे में बता चुके हैं जिसमें उन इस्लामी आतंकवादियों के नाम हैं जिनसे सरकार निपटना चाहती है. इस लिस्ट में उन सैकड़ों इस्लामवादी कट्टरपंथियों में से कुछ के नाम हैं जो ब्रिटेन छोड़ कर कथित इस्लामिक स्टेट का साथ देने सीरिया और इराक का रुख कर चुके हैं.

Lucas Grahame Kommentarbild App
डॉयचे वेले के ग्रैहम लूकस

ऐसा ही एक सूची में शामिल नाम है “जिहादी जॉन" का, एक ब्रिटिश नागरिक जिसने सार्वजनिक रूप से कई सारे आईएस बंधकों को मौत के घाट उतारा था. उसने अपनी इन क्रूर और अक्षम हत्याओं का फुटेज इंटरनेट पर भी डाला था.

सवाल यह उठता है कि क्या और कोई विकल्प है? क्या एक देश का प्रधानमंत्री अपने रक्षा प्रमुखों की सलाह को नजरअंदाज करने का जोखिम उठा सकता है? क्या वह अपने देश पर आतंकी हमले होने का खतरा मोल ले सकता है? नहीं, वह ऐसा नहीं कर सकता. हम सब जानते हैं कि इस्लामिक स्टेट कितना घातक है. हम यह भी जानते हैं कि वह हमें तबाह करना चाहता है. किसी भी नेता के लिए ऐसे फैसले लेना नि:संदेह बेहद कठिन होगा. सरकार का यह पक्ष है कि देश पर मंडराते एक वास्तविक खतरे को देखते हुए यह ड्रोन हमले कानूनन न्यायोचित हैं.

David Cameron
ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन और विपक्ष के नेता मिलिबैंडतस्वीर: Getty Images

मगर हमें इस्लामिक स्टेट की क्रूरता और नीचता के कारण कोई निर्णय लेने से बचना चाहिए. ब्रिटेन की विपक्षी लेबर पार्टी का इस मुद्दे पर सरकार के मत और कानूनी स्थिति को स्पष्ट करने की मांग करना जायज है.अगर ऐसे हवाई हमले रोज होने लगें, जो केवल सत्तासीन लोगों के पास मौजूद किसी गुप्त साक्ष्य पर आधारित हों, तो हम खतरनाक मिसाल कायम कर रहे हैं.

ब्रिटिश सरकार को इन तथाकथित राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं के पीछे ना छुप कर इस फैसले को लेने की वजह बनने वाले उन दस्तावेजों को उजागर करना चाहिए. अक्सर गुप्त रहने वाली संसदीय समितियां, जो राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों को देखती हैं, उन्हें पहले ही इन फैसलों को परखने का अवसर मिलना चाहिए. यही एक रास्ता है जिससे जनता को तसल्ली मिलेगी कि सरकार नागरिकों के अधिकारों की अनदेखी नहीं कर रही है. हमें किसी भी कीमत पर इस्लामिक स्टेट के खिलाफ अपने संघर्ष को हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को नुकसान पहुंचाने नहीं देना चाहिए.

ब्लॉग: ग्रैहम लूकस