कितना नमक होना चाहिए आपके खाने में
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने खाने में नमक की मात्रा के नए मानक बनाए हैं. संगठन का कहना है कि खाने-पीने की चीजों में ज्यादा नमक की वजह से लोगों में दिल की प्राणघातक बीमारियों और आघात का खतरा बढ़ रहा है.
ज्यादा नमक से मर रहे 30 लाख लोग
नमक का केमिकल नाम है सोडियम क्लोराइड. सोडियम शरीर में पानी की मात्रा का नियंत्रण करने वाला एक खनिज पदार्थ होता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक हर साल खराब खाने की वजह से अनुमानित 1.10 करोड़ लोगों की मौत हो जाती है. इनमें से 30 लाख लोग ज्यादा सोडियम लेने की वजह से मारे जाते हैं.
क्या होता है ज्यादा सोडियम खाने से
दुनिया में हर साल गैर-संक्रामक रोगों से जितने लोगों की मृत्यु हो जाती है, उनमें से सबसे ज्यादा (32 प्रतिशत) लोग ह्रदय-संबंधी बीमारियों से मारे जाते हैं. ज्यादा सोडियम लेने से मोटापा, गुर्दों की स्थाई बीमारी और गैस्ट्रिक कैंसर हो सकता है.
किस तरह के खाने में होता है ज्यादा सोडियम
कई देशों में सोडियम बड़ी मात्रा में ब्रेड, अनाज, प्रोसेस्ड मांस और डेरी उत्पादों जैसे विनिर्मित या मैन्युफैक्चर्ड खाद्य पदार्थों में पाया जाता है. ऐसा सिर्फ अमीर देशों में नहीं होता बल्कि अब कम आय वाले देशों में भी इसका चलन बढ़ रहा है.
उपाय क्या है
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक तेद्रोस अधनोम गेब्रयेसुस का कहना है कि सरकारों को ऐसी नीतियां बनानी चाहिए जिनसे खाने में नमक की मात्रा कम हो सके और लोगों को ऐसी जानकारी दी जाए जिससे वो अपने खान पान को लेकर सही फैसले ले सकें. उन्होंने यह भी कहा की खाने-पीने की चीजें बनाने वाली कंपनियों को भी प्रोसेस्ड चीजों में सोडियम का स्तर कम करने की जरूरत है.
क्या हैं नए मानक
संगठन ने खाने-पीने की चीजों की 64 श्रेणियों के लिए नए मानक बनाए हैं, जिनका उद्देश्य है उसके 194 सदस्य देशों को खाद्य कंपनियों से इस दिशा में बातचीत करने में सहायता करना. उदाहरण के तौर पर आलू के चिप्स में प्रति 100 ग्राम चिप्स में अधिकतम 500 मिलीग्राम सोडियम, पाई और पेस्ट्रियों में 120 मिलीग्राम और प्रोसेस्ड मांस में अधिकतम 360 मिलीग्राम सोडियम होना चाहिए.
रोज कितना नमक खाना चाहिए
विश्व स्वास्थ्य संगठन कहता है कि एक दिन में पांच ग्राम से भी कम नमक, यानी दो ग्राम से भी कम सोडियम, लेना चाहिए. 2013 में संगठन ने वैश्विक लक्ष्य बनाया था कि 2025 तक लोगों में नमक के सेवन के औसत स्तर को 30 प्रतिशत तक कम देना है. इस समय दुनिया इस लक्ष्य को हासिल करने की राह पर नहीं है. (रॉयटर्स)