कितना असरदार उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध
३ मार्च २०१६कूटनीति विश्लेषकों का कहना है कि उत्तर कोरिया के प्रमुख आर्थिक सहयोगी चीन के लिए इन प्रतिबंधों में अब भी ऐसे सुराख हैं कि इन दोनों देशों का व्यापार सुचारू रूप से चलता रहेगा. चीन उत्तर कोरिया के साथ व्यापार और अन्य किस्म के सहयोग का सबसे अहम भागीदार रहा है. दक्षिणी कोरिया के सरकारी संस्थान कोरिया ट्रेड इंवेस्टमेंट प्रमोशन एजेंसी के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 2014 में उत्तर कोरिया के कुल 7.61 अरब डॉलर के समूचे व्यापार का 90 प्रतिशत से भी ज्यादा व्यापार अकेले चीन के साथ हुआ है.
लेकिन प्रतिबंधों के जरिए उत्तर कोरिया की परमाणु और मिसाइल विकसित करने की महात्वाकांक्षाओं को खत्म करने के बजाय चीन ने हमेशा उसकी कमजोर अर्थव्यवस्था को निशाना बनाए जाने का विरोध किया है. इस सबके चलते इन प्रतिबंधों को लगाने से पहले चीन और अमरीका के बीच 7 हफ्तों तक गंभीर बातचीत का एक लंबा दौर चला.
इन दोनों देशों के बीच इस गठजोड़ की शुरूआत कोरियाई युद्ध के समय उस वक्त हुई जब चीन को लगा था कि कोरिया के ढहने से चीन में शरणार्थियों की बाढ़ आ जाएगी या उससे भी बुरे हालात हो सकते हैं. और अगर फिर से एकीकृत कोरिया बनता है तो उसकी सीमा पर अमरीकी सैन्य ठिकाने बनने का खतरा है.
अमेरिकी अधिकारियों ने सुरक्षा परिषद के ताजा प्रस्तावों को उत्तर कोरिया पर अब तक का सबसे कठोर प्रतिबंध बताया है. उत्तर कोरिया लगातार संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का उल्लंघन करता आया है. ताजा प्रतिबंधों के दस्तावेज में एक प्रावधान ऐसा भी है जिसके मुताबिक उत्तरी कोरिया से कोयले, सोने, टाइटेनियम और दुर्लभ भूगर्भीय खनिजों के आयात पर प्रतिबंध लगाया गया है. अगर यह लागू होता है तो इसके जरिए उत्तर कोरिया अपने परमाणु या अन्य हथियारों के कार्यक्रमों को पैसा नहीं दे पाएगा. लेकिन एक अमरीकी राजनयिक का कहना है कि इस प्रतिबंध को लागू करने का संकल्प लेना उत्तर कोरिया के व्यापारिक भागीदारों के विवेकाधिकार पर है.
लगातार खाने की कमी से जूझने वाले अलग थलग पड़े उत्तर कोरिया के लिए चीन के साथ व्यापार कायम रखना बेहद अहम है. चीन के कस्टम आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल उत्तर कोरिया से 2.56 अरब डॉलर का आयात हुआ जिसमें 1.05 अरब की कीमत का कोयला और 7 करोड़ 3 लाख डॉलर का लोहा शामिल था.
अमेरिका की ओर से लगातार इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि उत्तर कोरिया के व्यवहार में बदलाव लाना इस बात पर निर्भर है कि चीन उसके साथ अपने व्यापारिक संबंधों का हवाला देकर दबाव डाले. अमेरिका इन नए प्रतिबंधों को लेकर काफी जोर लगाए हुए है. इसी के चलते अमेरिकी विदेशमंत्री जॉन कैरी ने बीजिंग की यात्रा भी की. इस यात्रा के दौरान चीन के विदेशमंत्री वांग यी ने इस पर जोर दिया कि इन प्रतिबंधों से उत्तर कोरिया की जनता का कोई नुकसान नहीं होना चाहिए और किसी किस्म का तनाव नहीं पैदा होना चाहिए.
वॉशिंगटन के सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के एशियाई मामलों के वरिष्ठ सलाहकार बॉनी ग्लासर कहती हैं कि चीन को उत्तरी कोरिया से खनिज के आयात को रोकने को लेकर काफी एतराज रहा है. वे कहती हैं, ''इन प्रतिबंधों के खिलाफ भी चीन ने काफी लड़ाई लड़ी होगी. चीन को शायद कम प्रतिबंध लगाना पसंद रहा हो लेकिन अमेरिका इस बात पर जोर देता रहा है कि ये व्यापार सामान्य नहीं चल सकता.''
उत्तर कोरिया ने हाल ही में 4 परमाणु परीक्षण किए हैं. लेकिन चीन के अधिकारियों का कहना है कि वो अपने पड़ोसी देश पर लगाम लगाने के लिए सक्षम नहीं है. जबकि उसकी तरफ से प्रायद्वीप में स्थिरता बनाए रखने का आग्रह किया जाता रहा है.
2006 में जब पहली बार उत्तर कोरिया ने अपना परमाणु परीक्षण किया था तब से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने उत्तर कोरिया पर 4 बार प्रतिबंध लगाया है. लेकिन संयुक्त राष्ट्र के एक पैनल के विशेषज्ञों का कहना है, ''उसके बाद भी ऐसे कोई संकेत नहीं दिखाई दिए हैं जिससे उत्तर कोरिया की अपने परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल के कार्यक्रमों को खत्म करने की कोई मंशा जाहिर होती हो.'' इसके चलते पैनल का मानना है, ''ये संयुक्त राष्ट्र के ताजा प्रतिबंधों के प्रभावशाली होने पर भी गंभीर सवाल उठाता है.''
आरजे/एमजे (एएफपी)