कार्टूनों में लोकतंत्र
दुनिया भर के कार्टूनिस्ट बस चंद लाइनों की मदद से अपने देश में लोकतंत्र की हालत बयां कर देते हैं. ऐसे जगहों पर भी जहां हालात बेहद गंभीर है वो यह साबित कर देते हैं कि हास्य की उनकी समझ गुम नहीं हुई.
राजनीतिक उलझन
जर्मन कार्टूनिस्ट रोजर श्मिट के लिए दुनिया उल्टी हो गई है. वामपंथी पार्टी सामाजिक फायदों को काटना चाहती हैं और रूढ़िवादी ऊर्जा परिवर्तन के पक्ष में हैं. श्मिट पूछते हैं, ''किसे या किस चीज के लिए मैं वोट दूं? किसी की स्थिति साफ नहीं और पार्टियों में सच्चाई की कमी है.'' पेशे से इंजीनियर श्मिट को कार्टून बनाना खूब पसंद है.
अगर बैलेट बॉक्स बोल पाते
मिस्र के कार्टूनिस्ट जेएफ अंदील कहते हैं, ''अगर अमेरिका ने लोकतंत्र पेश नहीं किया होता तो शायद आप मध्य पूर्व के लोगों को इस तरह की सरकार के लिए समझा लेते.'' अंदील जब 19 साल के थे तब अपने देश की हालात पर व्यंग वाले स्केच बनाने लगे. इसस कार्टून में यहां तक कि बैलेट बॉक्स भी गड़बड़ी की शिकायत कर रहा है.
हम किधर जा रहे हैं?
''अमेरिका ऐसा लोकतंत्र है जहां कई आवाजें हैं और सभी अलग अलग बातें बोल रहे हैं. बाएं मुड़िए, अंकल सैम, दाएं मुड़िए तो भी, लेकिन रेगिस्तान में आप किसी ओर नहीं जा सकते.'' सुधारों वाले अपने देश अमेरिका को कार्टूनिस्ट माइक लेस्टर इस तरह परिभाषित करते हैं. उन्होंने अपने कार्टूनों के लिए कई अवॉर्ड जीते हैं.
गंभीर संकट में सीरिया
काहिरा के गोमा फरहत कार्टून की दुनिया के पुराने महारथी हैं. उनके तीखे व्यंग मिस्र में तो पसंद किए ही जाते हैं, वह अमेरिकी, यूरोपीय और एशियाई अखबारों के लिए भी लगातार काम करते हैं. फरहत का कहना है कि मिस्र में लोकतंत्र लड़खड़ा रहा है और चुनावी सुधार एक गंभीर समस्या हैं, लेकिन सीरिया में तो आपदा की स्थिति है.
हर चीज के लिए कानून
हॉपसी के नाम से सक्रिय पीटर टेमेसी ने कंप्यूटर गेम और विज्ञापन के लिए ढेरों ग्राफिक बनाए हैं. अब उनकी नजर लोकतंत्र पर है. हंगरी में लोकतंत्र है लेकिन अभिव्यक्ति की आजादी पर काफी पाबंदियां हैं. उनका कहना है, ''हमारे प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान कानून बनाते हैं और उनका इस्तेमाल किसी भी चीज के लिए संभव है.''
सब कुछ नियंत्रण में
''रूसी लोकतंत्र के लिए अब बहुत देर हो चुकी है. पुतिन ने पूरे देश को अपने कब्जे में ले रखा है.'' रूस के बारे में यह राय कार्टूनिस्ट डेनिस लोपाटिंस की है. 2007 से ही उनके स्केच पर लगातार पाबंदियां लगती रही हैं. म्यूजियम से यहां की तस्वीर गायब हो गई और किसी को कुछ पता नहीं चला. अब वो सिर्फ फूल बनाते हैं.
लोकतंत्र का पालना
दुनिया भर में मशहूर ग्रीक कार्टूनिस्ट बास मित्रोपुलोस का कहना है, ''ग्रीस लोकतंत्र का पर्यायवाची था, है और हमेशा रहेगा.'' 76 साल के इस बुजुर्ग कार्टूनिस्ट का कहना है, ''इस वक्त लोगों को सख्त आर्थिक कटौतियों के साथ चलना पड़ रहा है. इससे सामाजिक शांति खतरे में पड़ सकती है. हम उम्मीद करते हैं कि लोकतंत्र का झंडा बुलंद रहेगा.''
यूरो को जिंदा करने की कोशिश
अंटोनियो मेसामादेरो कभी एक अखबार के लिए हॉकर का काम करते थे. अब वो खुद पत्रकार और कार्टूनिस्ट हैं. उनका कहना है, ''स्पेन के ज्यादातर राजनेता अपने लिए खिचड़ी का सबसे बड़ा हिस्सा चाहते हैं. भ्रष्टाचार यहां अब नियम बन गया है.'' वह कहते हैं कि लोकतंत्र तो अपनी सबसे खराब स्थिति में है.
हम सब राजी हैं, है न?
मिस्र के कार्टूनिस्ट गोमा फरहत मानते हैं कि कई अरब देशों में लोकतंत्र महज एक छलावा है. उनके मुताबिक, ''सच्चाई यह है कि तानाशाही ने लोगों को बांध रखा है, जो या तो एक परिवार या फिर सरकार चला रही है.'' इसके साथ ही उनका यह भी कहना है कि धार्मिक कट्टरपन की वजह से लोकतंत्र के पास ज्यादा मौके नहीं हैं.
सत्ता के खेल
पत्थर, कागज, कैंचियां, कार्टूनिस्ट के लिए काफी हैं. ओलेग स्माल कहते हैं, ''आधिकारिक रूप से यूक्रेन में कोई सेंशरशिप नहीं, लेकिन आलोचना से त्यौरियां चढ़ जाती है.'' स्माल को अब बहुत मुश्किल से ही कोई काम मिलता है.