'काफी रंगीन है आपकी वेबसाइट'
२३ मई २०१३भारत में जिस खेल के खिलाड़ी को भगवान का दर्जा दिया गया हो, जिस खेल के लाखों प्रशंसक हो, उसी खेल के कुछ खिलाड़ियों ने लाखों खेल प्रेमियों का दिल तोड़ दिया है. एक बार फिर इस खेल पर कलंक का कालिख पोता गया है. आईपीएल का विवाद से गहरा नाता रहा है क्योंकि इस ट्वेन्टी 20 मुकाबले में पैसे को पानी की तरह बहाया जाता है, लेकिन इस घटना ने तीन खिलाड़ियों को डुबो दिया. जिस तरह श्रीसंत सहित तीन खिलाडी स्पॉट फिक्सिंग के आरोप में पकड़े गए हैं, क्रिकेट के लिए अच्छी खबर नहीं है. पैसों के खातिर अपना ईमान बेचने वाले ये खिलाड़ी किसी देश या टीम के लिए नहीं खेल सकते, बल्कि अपने फायदे के लिए खेल सकते हैं. ये खिलाड़ी इस हद तक गिर जाएंगे, शायद किसी ने सोचा भी नहीं होगा? जब कोई सीनियर खिलाडी इस तरह के मामले में लिप्त पाया जाता है, तब तो खेल प्रेमियों का शक और भी बढ़ता है और विश्वास टूटता है.
डा. हेमंत कुमार, भागलपुर, बिहार
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आप के द्वारा भेजा गया पुरस्कार मुझे मिल गया है. मैंने जब अपने परिजनों एवं दोस्तों को बताया तो उन्हें भी बहुत अच्छा लगा. उन्हें भी इसमें रूचि हो गई है और मैं आपने सम्बन्धी दोस्त मनोज कुमार यादव को धन्यवाद देना चाहूंगी जिन्होंने मुझे डीडब्ल्यू हिंदी के बार में मुझे बताया. आप से लगाव हम सभी का बना रहे.
रेनू यादव, मुबारकपुर, जिला आजमगढ़, उत्तर प्रदेश
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मैं अपने मोबाइल पर आपकी वेबसाइट को पढता हूं. आपसे अनुरोध है कि आप अपनी साईट पर जर्मन लोक कथाओं को भी जगह देवें और श्रोताओं के पत्रों को या ईमेल को भी साईट पर जगह मिल जाये तो सोने पर सुहागा वाली कहावत बन पड़ेगी. आपके द्वारा भेजा गया रजिस्टर्ड पार्सल मुझे सुरक्षित प्राप्त हो गया. आपका बहुत बहुत धन्यवाद.
डॉयचे वेले हिन्दीः प्रकाश चंद्र जी पेज पर श्रोताओं को हमेशा जगह मिलती है. आप यहां पाठकों के फीडबैक पढ़ सकते हैं.
प्रकाश चंद्र वर्मा, कोटकासिम, अंबेडकर रेडियो लिसनर्स क्लब, अलवर, राजस्थान
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पहली बार मैं डॉयचे वेले हिंदी सेवा को एक पत्र लिख रहा हूं. 1993 से मैं डीडब्ल्यू सुन रहा हूं. मैं हर रोज आपकी वेबसाईट पर जाता हूं. यह काफी रंगीन और जानकारी से भरपूर है. विशेष तौर पर मुझे आपकी मासिक पहेली प्रतियोगिता पसंद है क्योंकि इससे मुझे यूरोप और जर्मनी के बारे में ज्ञान प्राप्त होता है. मुझे बडा अफसोस है कि डॉयचे वेले हिंदी का शॉर्टवेव पर प्रोग्राम बंद हो गया है लेकिन मुझे खुशी है कि आप अभी इंटरनेट पर उपलब्ध हैं. यह दुनिया कितनी तेज़ी से बदल रही है. मैं डॉयचे वेले का धन्यवाद करना चाहूंगा जो कि अपने पाठकों को नई जानकारियों से अवगत करता रहता है.
नासिर अज़ीज़, शेखपुरा, पाकिस्तान
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संकलनः विनोद चड्ढा
संपादनः आभा मोंढे