कानूनी ड्रग्स के बड़े खतरे
जर्मनी में मादक द्रव्यों और नशे पर वैकल्पिक रिपोर्ट के एक लेखक हाइनो श्टोएफर का कहना है कि प्रतिबंधों से कोई मदद नहीं मिल रही है. वैकल्पिक रिपोर्ट की मुख्य मांग है अल्कोहल और सिगरेट जैसे वैध ड्रगों पर प्रतिबंध लगाना.
रिकॉर्ड सिगरेट मशीनें
मादक द्रव्यों पर दूसरी गैर सरकारी रिपोर्ट का मकसद है नशेबाजी और उसकी रोकथाम के सिलसिले में हो रहे रिसर्च के नतीजों को व्यवहार में लागू करना. जर्मनी में सिगरेट बेचने की 400,000 ऑटोमैटिक मशीनें हैं. इन मशीनों के मामले में वह विश्व में अव्वल है.
एक लाख मौतें
जर्मनी में सिगरेट और तंबाकू के सेवन से हर साल 100,000 लोगों की मौत होती है, जबकि 40,000 अल्कोहल की वजह से होने वाली बीमारियों से मरते हैं. श्टोएफर कहते हैं, "शराब पीने की वजह से होनेवाली छोटी मोटी बीमारियों, दुर्घटनाओं और हिंसक बर्ताव की तो बात ही छोड़ दें."
सही इलाज
जर्मन सरकार के अनुसार देश में ड्रग्स लेने के कारण होने वाली मौतों की संख्या बढ़ रही है. वैकल्पिक रिपोर्ट के लेखक सरकार से नशे पर निर्भर लोगों का ड्रग से ही इलाज करने पर जोर दे रहे हैं. ब्रिटेन, कनाडा और अमेरिका में ड्रगविरोधी दवा नैलोक्सोन का इस्तेमाल हो रहा है.
खतरनाक ड्रग
खतरनाक ड्रग क्रिस्टल मेथ के इस्तेमाल में पिछले साल कोई बदलाव नहीं आया. रिपोर्ट का कहना है कि चेक गणतंत्र की सीमा से लगे जर्मनी के दक्षिणी इलाकों में इसका बहुत ज्यादा प्रसार है. इस सिंथेटिक ड्रग का प्रसार रोकने के लिए उपभोक्ताओं को रोकथाम के कार्यक्रम में शामिल करना होगा.
बढ़ती मांग
सिंथेटिक ड्रग क्रिस्टल मेथ की मांग बढ़ रही है. यह सिर्फ शक्तिवर्द्धक और जगाए रखने वाला ही नहीं बल्कि भारी शारीरिक क्षति पहुंचाने वाला भी है. श्टोएफर ने बताया कि इस बीच यह समाज के ऊंचे तबके के लोगों के बीच भी फैल चुका है.
वैध बनाने की मांग
भांग को कानूनी बनाने की मांग पर भी विशेषज्ञों के बीच बहस जारी है. वैकल्पिक रिपोर्ट के लेखक इसे कानूनी बनाकर अपराध के आंकड़े को कम करने की बात कहते हैं. उनका कहना है कि भांग का कई रोगों की चिकित्सा में भी इस्तेमाल हो सकता है.
व्यावहारिक अनुभव
वैकल्पिक रिपोर्ट के अनुसार बड़े संगठनों द्वारा किए जा रहे व्यावहारिक अनुभवों का पर्याप्त इस्तेमाल नहीं हो रहा है. जर्मनी उन देशों में शामिल है जहां अभी भी सिगरेट और अल्कोहल उत्पादों का विज्ञापन वैध है.
ड्राइवर की जांच
अब इस तरह की मशीनें बन रही हैं जो शराब पिए ड्राइवर को गाड़ी चलाने नहीं देती. भारत की रिसर्चर ज्योति प्रिया एक अल्कोहल इग्निशन लॉक बनाया है जिसका इस्तेमाल मोटरसाइकिलों के लिए होता है. यदि ड्राइवर ने अनुमति से ज्यादा पी रखी हो तो वह गाड़ी स्टार्ट नहीं कर सकता.