कानकुन के मसौदे पर भारत बेहद खुश
११ दिसम्बर २०१०पर्यावरण में हो रहे बदलावों से लड़ने के लिए क्योटो प्रोटोकॉल पर 200 देशों के वार्ताकारों ने बातचीत के बाद ये दो मसौदे तैयार किए हैं. इन्हें सभी देशों को दे दिया गया लेकिन अभी तक कोई औपचारिक समझौता नहीं हुआ है. भारतीय प्रतिनिधि जयराम रमेश के मुताबिक बेसिक देश या जी4 (ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, भारत और चीन) मसौदे से खुश हैं. उत्साहित रमेश ने कहा, "कानकुन समझौता तैयार है."
पिछले दो हफ्ते से जारी कानकुन सम्मेलन पर विफलता की आशंकाएं मंडरा रही थीं क्योंकि जापान और रूस ने कहा कि वे किसी भी सूरत में क्योटो प्रोटोकॉल का दूसरा दौर स्वीकार नहीं करेंगे. अब तक क्योटो प्रोटोकॉल ही एकमात्र अंतरराष्ट्रीय समझौता है जिसमें विकसित देशों पर उत्सर्जन की पाबंदियां लगाई गई हैं.
सम्मेलन के आखिरी कुछ दिनों में वार्ताकारों ने ऐसा मसौदा तैयार करने पर मशक्कत की जिसमें सभी देशों की इच्छाओं को शामिल किया जा सके. क्योटो प्रोटोकॉल का वक्त 2012 में खत्म हो रहा है. इसके मुताबिक औद्योगिक देशों को ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन का स्तर 1990 के स्तर से पांच फीसदी तक घटाना है. वार्ताकारों की कोशिश है कि 2012 में क्योटो प्रोटोकॉल के खत्म होने के साथ ही अगला समझौता शुरू हो जाए और दोनों के बीच फासला न रहे. तैयार किए गए मसौदों में इसी बात पर जोर दिया गया है.
हालांकि अलग अलग पक्षों ने इस मसौदे की अलग व्याख्या की है. कुछ जानकार तो इसे इतना कमजोर मानते हैं कि यह क्योटो प्रोटोकॉल की मौत की वजह भी बन सकता है. हालांकि ऐसा मानने वाले भी कम नहीं हैं कि यह एक ऐसा समझौता है जिस पर ज्यादातर देशों को राजी किया जा सकता है.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः एन रंजन