कहां है समानता
महिला समानता की दिशा में बहुत प्रगति हुई है, लेकिन महिलाओं के साथ अभी भी पूरी दुनिया में भेदभाव हो रहा है. 1911 से 8 मार्च को महिला दिवस मनाया जाता है लेकिन समानता का लक्ष्य हासिल नहीं हुआ है.
कम वेतन
दुनिया भर में महिलाओं को आज भी पुरुषों के बराबर मेहनताना नहीं मिलता है. उन्हें 10 से 30 प्रतिशत कम वेतन मिलता है.
ओईसीडी भी पीछे
दुनिया के विकसित देशों के संगठन ओईसीडी के देशों में भी महिलाओं को पुरुषों की तुलना में 16 प्रतिशत कम वेतन मिलता है.
22 का अंतर
जर्मनी में भी स्थिति अलग नहीं. पुरुषों और महिलाओं के वेतन का अंतर पिछले कई सालों से लगातार 22 प्रतिशत के करीब है.
नौकरी में पीछे
दुनिया भर में कॉलेजों से पास करने वाली लड़कियों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन नई नौकरियां पाने वाले 79 प्रतिशत पुरुष होते हैं.
शिक्षा की कमी
विकासशील देशों में हालत और भी खराब है जहां शिक्षा में बराबरी न होने के कारण ज्यादातर महिलाएं कम आय वाले क्षेत्रों में काम करती हैं.
नेतृत्व से बाहर
उच्च शिक्षा में महिलाओं का औसत बढ़ने के बावजूद सिर्फ 12 प्रतिशत कंपनियों में महिलाएं मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पद पर हैं.
बराबरी के फायदे
महिलाओं को अर्थव्यवस्था में बराबरी का हिस्सा मिले तो विकसित देशों की राष्ट्रीय आय 12 प्रतिशत बढ़ जाएगी.
तिहाई ज्यादा
फॉर्चून 500 कंपनियों के एक सर्वे के अनुसार प्रबंधन में उच्चतम महिला भागीदारी वाली कंपनियों को दूसरों से 34 प्रतिशत ज्यादा मुनाफा होता है.
दूर के ढोल
अगर मौजूदा ढर्रा बना रहता है तो महिलाओं को पुरुषों के बराबर आर्थिक सत्ता और संभावना पाने में और 80 साल लगेंगे. साल 2096 तक का समय लग सकता है.