कश्मीर में सरकार पर स्थिति साफ नहीं
३१ दिसम्बर २०१४चुनावी नतीजे सामने आने के एक हफ्ते बाद भी सरकार बनाने को लेकर तस्वीर साफ नहीं है. राज्यपाल एनएन वोहरा से मुलाकात के बाद महबूबा मुफ्ती ने कहा कि राज्यपाल से उनकी मुलाकात सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए नहीं बल्कि अनौपचारिक थी. मुफ्ती ने कहा कि जम्मू कश्मीर का जनादेश चुनौतीपूर्ण होने के साथ ही राष्ट्रीय नेतृत्व के समक्ष जम्मू कश्मीर में शांति और विकास के लिए एक मौका भी है.
भाजपा ने 31 विधायकों के समर्थन का दावा किया था. विधानसभा चुनाव में खंडित जनादेश के साथ पीडीपी को सबसे ज्यादा 28 और भाजपा को 25 तथा नेशनल कांफ्रेंस को 15 और कांग्रेस को 12 एवं अन्य को सात सीटें मिली हैं. मुफ्ती ने कहा कि सरकार के गठन में जनादेश का सम्मान होना चाहिए क्योंकि यह निर्णायक होने के साथ ही बंटा हुआ भी है.
महबूबा मुफ्ती ने सरकार बनाने के लिए अलगाववादियों से वार्ता प्रक्रिया की बहाली, आर्थिक पैकेज और शांति एवं विकास की शर्तें रखी हैं उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के एजेंडा को आगे बढ़ाने की जरूरत है. 2003 में केंद्र की एनडीए सरकार ने शांति प्रक्रिया शुरू की थी. वाजपेयी सरकार ने हुर्रियत कांफ्रेंस को बातचीत के लिए बुलाया था. उन्होंने जम्मू कश्मीर को विशेष आर्थिक पैकेज दिया था. मुफ्ती ने कहा उस एजेंडे को आगे बढ़ाने की जरूरत है.
इस एजेंडे को पूरा करने के लिए पीडीपी को बीजेपी के समर्थन की जरूरत होगी. महबूबा मुफ्ती ने कहा कि मोदी सरकार के लिए जम्मू कश्मीर एक बड़ी जिम्मेदारी है. जम्मू कश्मीर किसी भी प्रधानमंत्री के लिए बड़ी चुनौती रहे हैं. मोदी की विकास की रणनीति और बेरोजगारी के मुद्दे पर मुफ्ती ने कहा कि जब तक किसी इलाके में शांति नहीं होती वहां विकास नहीं किया जा सकता.
जम्मू कश्मीर में पीडीपी को नेशनल कांफ्रेंस, कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों की तरफ से समर्थन की पेशकश हुई है. चुनावों में सबसे बड़ी पार्टियां बनकर उभरीं बीजेपी और पीडीपी के बीच गठबंधन की कोशिशें किसी मुकाम तक नहीं पहुंची हैं. चुनावों के बाद दूसरी बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी बीजेपी के महासचिव राम माधव ने पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख जुगल किशोर शर्मा के साथ राज्यपाल एन एन वोहरा से मुलाकात की.
एसएफ/एमजे (पीटीआई, वार्ता)