आलम ने बजाया अलार्म
१८ अप्रैल २०१५केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के बाद जम्मू कश्मीर के उप मुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने भी सूबे के मुखिया को आगाह किया. बीजेपी ने मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद से साफ कहा कि वो अलगाववादियों को हिरासत में लें, क्योंकि ऐसे तत्व राज्य सरकार और केंद्र सरकार के लिए समस्या खड़ी कर रहे हैं. नई नवेली सरकार को संकट में देख सईद नरम पड़े. शुक्रवार को जम्मू कश्मीर पुलिस ने अलगाववादी नेता मसर्रत आलम को गिरफ्तार कर लिया. प्रशासन ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के नेता सैयद अली शाह गिलानी को भी नजरबंद कर दिया.
बुधवार को श्रीनगर में एक भारत विरोधी रैली निकाली गई. इस दौरान मसर्रत पर पाकिस्तान का झंडा फहराने के आरोप लगे. एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक, "मसर्रत आलम पर लगाई गई धाराएं गैरजमानती हैं और अदालत से जमानत की याचिका किये बिना आलम रिहा नहीं हो सकेंगे." सप्ताहांत में फिर से ऐसी रैली निकालने की योजना थी. कानूनी कार्रवाई को इससे जोड़कर भी देखा जा रहा है.
बीजेपी की विधायक सोफी यूसुफ ने गिरफ्तारी का स्वागत किया है, "हम खुश हैं. बीजेपी और अन्य पार्टियों ने मसर्रत आलम और अन्य अलगाववादी नेताओं को गिरफ्तार करने का दबाव डाला. कानून सबके लिए एक है और सरकार ने दिखा दिया है कि वो पाकिस्तान का झंडा फहराने वाले के साथ किसी तरह की नरमी नहीं बरतेगी."
भारत प्रशासित जम्मू कश्मीर में अलगाववादी पहले भी पाकिस्तान के झंडों के साथ रैलियां निकालते रहे हैं. उमर अब्दुल्लाह की सरकार के दौरान अलगाववादी नेताओं को कई बार गिरफ्तार किया गया. पीडीपी तब यह आरोप लगाती थी कि सरकार अलगाववादियों को अपनी बात रखने का मौका नहीं दे रही है. पीडीपी ने वादा किया था कि अगर उसकी सरकार बनी तो वो अलगाववादी नेताओं को अपनी बात रखने का मौका देगी.
पीडीपी और बीजेपी दोनों अलग अलग सोच वाली पार्टियां हैं. दोनों मार्च से गठबंधन सरकार चला रही हैं. बीजेपी कश्मीर में फिर से पंडितों को बसाना चाहती है. पीडीपी और अलगाववादियों को यह बात नागवार है. धारा 370 जैसे मुद्दों पर भी दोनों पार्टियां अलग अलग छोर पर हैं. कश्मीर, एक राज्य भर की सियासत नहीं है. ये भारत और पाकिस्तान के विवाद का भी केंद्र है.
ओएसजे/एमजे (पीटीआई)