कश्मीर पर खमेनेई का बयान, राजदूत तलब
१९ नवम्बर २०१०भारत के विदेश मंत्रालय ने ईरान के दूत रेजा अलाई को बुलाकर खमेनेई के बयान पर भारत की निराशा से अवगत कराया है. रेजा को बताया गया कि ईरान ने भारत की क्षेत्रीय अखंडता पर सवाल उठाया है जो निराशाजनक है. ईरान में मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों पर संयुक्त राष्ट्र में वोटिंग के दौरान भी भारत इस बार अनुपस्थित रहा. इससे पहले भारत ऐसे मतदान में प्रस्ताव के खिलाफ वोट देता रहा है.
तेहरान में हज तीर्थयात्रियों को संबोधित करते हुए सर्वोच्च नेता अयातोल्लाह अली खमैनेई ने कहा, "सच्चे मुसलमानों का फर्ज है कि वह फलस्तीनी राष्ट्र की मदद के लिए आगे आएं, गजा में फंसे लोगों की मदद करें, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और कश्मीर के लोगों की सहायता करें. अमेरिका और इस्राएल के आक्रामक रुख के खिलाफ मुसलमानों की रक्षा करें.
हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इस बयान का दोनों देशों के रिश्तों पर क्या असर पड़ेगा. विश्लेषकों का मानना है कि दोनों देशों के बीच सैकड़ों सालों से रिश्ते रहे हैं और कई मुद्दों पर साझा रुख है. सूत्रों के मुताबिक भारत ईरान के साथ अपनी परियोजनाओं को बेहद अहम मानता है इसलिए इस बयान का आपसी रिश्ते के अन्य पहलुओं पर खास असर नहीं पड़ेगा.
इससे पहले जब भी भारत ने ईरान के साथ कश्मीर का मुद्दा उठाया है तो भारत को बताया गया है कि तेहरान की जम्मू कश्मीर के मसले पर आधिकारिक राय यही है कि कश्मीर भारत का अंदरूनी मसला है. इससे पहले अक्तूबर में ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने जम्मू कश्मीर में प्रदर्शनकारियों पर भारतीय कार्रवाई की निंदा की थी. यह विरोध प्रदर्शन तब हुए थे जब अमेरिका में कुरान को कथित रूप से अपमानित किया गया था.
ईरान के प्रवक्ता रमीन मेहमानपरस्त ने कहा था कि इस तरह के प्रदर्शनों के खिलाफ कार्रवाई करना दिखता है कि अपमानित किए जाने का समर्थन किया जा रहा हो. मेहमानपरस्त के मुताबिक कुरान को अपमानित किए जाने के खिलाफ अगर मुस्लिम विरोध करते हैं तो यह स्वीकार्य है और भारत सरकार को संयम का परिचय देना चाहिए.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: एन रंजन