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कश्मीर की वजह से मिला पाक सेना प्रमुख को एक्सटेंशन?

२१ अगस्त २०१९

पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा को और तीन साल के लिए पद पर नियुक्त किया गया है. प्रधानमंत्री इमरान खान ने इसे क्षेत्रीय सुरक्षा के माहौल के मद्देनजर उठाया कदम बताया.

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MSC Qamar Javed Bajwa  Armeechef von Pakistan
तस्वीर: picture-alliance/dpa/S. Hoppe

पाकिस्तान में बेहद ताकतवर समझे जाने वाले सेना प्रमुख के पद पर जनरल बाजवा के कार्यकाल को बढ़ाया जाना मौके की नजाकत को देख कर उठाया गया कदम माना जा रहा है. हाल ही में पाकिस्तान ने भारतीय कश्मीर में हुए बदलावों को लेकर अपनी कड़ी आपत्तियां जताईं हैं और फिलहाल कश्मीर को लेकर वे मामले को आगे बढ़ा रहे हैं. भारत के साथ बढ़ते तनाव और दूसरी ओर अमेरिकी हस्तक्षेप से अफगानिस्तान में बदलती स्थिति में पाकिस्तान को क्षेत्रीय सुरक्षा के मोर्चे पर सोच समझ कर कदम उठाने का दबाव था. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के कार्यालय से जारी हुए संदेश में लिखा गया, "जनरल कमर जावेद बाजवा को अगले और तीन सालों के लिए आर्मी चीफ नियुक्त किया जाता है. यह फैसला क्षेत्रीय सुरक्षा माहौल को ध्यान में रखते हुए लिया गया है."

सेना प्रमुख के कार्यकाल के विस्तार का अनुमान पहले से ही लग रहा था. सेना के प्रवक्ता ने भी अब इसकी पुष्टि कर दी है. पाकिस्तानी सेना ने देश में आजादी के समय से ही बहुत अहम भूमिका निभाई है. अब तक के 72 सालों के इतिहास में से करीब आधा समय तो सेना ने ही पाकिस्तान पर शासन किया है. परमाणु शक्तिसंपन्न पड़ोसी देश भारत को अपने कट्टर प्रतिद्वंद्वी के तौर पर दिखा कर पाकिस्तानी सेना ने देश को सुरक्षित रखने वाले के रूप में अपनी भूमिका को बीते सालों में कहीं ज्यादा मजबूत कर लिया है.

बाजवा को 2016 में सेना के नेतृत्व के लिए चुना गया था. उनसे पहले प्रमुख रहे जनरल राहिल शरीफ काफी लोकप्रिय जनरल रहे थे. इस्लामी आतंकियों के खिलाफ असरदार अभियान चलाने वाले शरीफ को देश में काफी पसंद किया जाता था. एक ही दशक में ऐसा दूसरी बार हुआ है जब एक सेना प्रमुख के कार्यकाल को विस्तार दिया गया हो.

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने हाल ही में दोनों पड़ोसी देशों से अपील की है कि वे आपस में बातचीत की दिशा में लौटें. फिलहाल तालिबान को लेकर अमेरिका के साथ जारी शांति वार्ताओं में भी पाकिस्तानी सेना की अहम भूमिका मानी जा रही है. 1990 के दशक में पाकिस्तान तालिबान का मुख्य प्रायोजक हुआ करता था. तब अफगानिस्तान में तालिबान का बोलबाला था. लेकिन 2001 में अमेरिकी नेतृत्व वाली सेनाओं द्वारा निशक्त किए जाने के बाद से तालिबान से पाकिस्तान का असर भी कम होता चला गया. सेना मामलों के विश्लेषक और रिटायर्ड जनरल तलत मसूद बताते हैं कि ऐसे माहौल में किसी भी फैसले के केंद्र में यही था कि इन सब मसलों में निरंतरता बनी रहनी चाहिए. मसूद कहते हैं कि जनरल बाजवा के साथ "सेना के चहेते" माने जाने वाले प्रधानमंत्री इमरान खान का आपसी सामंजस्य "बेहतरीन" बताया जाता है.

आरपी/एके (एएफपी)

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