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कर्नाटक हाई कोर्ट में नई सुनवाई

२० अक्टूबर २०१०

कर्नाटक सरकार के भविष्य पर जारी अनिश्चितता के बीच कर्नाटक हाई कोर्ट की एक सदस्यीय बेंच ने 11 बागी बीजेपी विधायकों की अपील पर सुनवाई शुरू की है.

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तस्वीर: UNI

उन्होंने सदस्यता से अयोग्य करार दिए जाने के विधान सभा अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ अपील की है. दो दिन पहले इस मामले पर दो सदस्यों वाली बेंच ने अलग अलग फैसला दिया था. मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर और जस्टिस एन कुमार की राय विधायकों को अयोग्य ठहराने वाली धारा की व्याख्या में एक दूसरे के खिलाफ थी. 166 पेज के फैसले में खेहर ने विधान सभा के अध्यक्ष के फैसले को उचित ठहराया जबकि कुमार ने उसे रद्द कर दिया.

बीजेपी के 11 विधायकों ने राज्यपाल को अलग अलग पत्र लिखकर कहा था कि मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा की सरकार के कार्यकलाप से उनका मोहभंग हो गया है. विश्वास का अभाव व्यक्त करते हुए उन्होंने सरकार से समर्थन वापस लेने की बात कही.

खेहर ने इस पत्र को अयोग्यता की वजह माना जबकि कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री में अविश्वास व्यक्त करना, समर्थन वापल लेना, नेतृत्व परिवर्तन की मांग करना, विधान सभा में विरोध में वोट देने की धमकी देना, राज्यपाल से शिकायत करना असंवैधानिक व्यवहार नहीं है.

उसके बाद मामले को किसी और बेंच को देने का फैसला लिया गया. अपील पर अब जस्टिस वीजी सबाहित की बेंच में सुनवाई हो रही है.

बीजेपी के 11 विधायकों और पांच निर्दलीय विधायकों को विधान सभा में विश्वास प्रस्ताव पर मतदान से पहले ही 10 अक्टूबर को अयोग्य घोषित कर दिया. विधानसबा अध्यक्ष ने विश्वास प्रस्ताव को ध्वनिमत से पारित हुआ घोषित कर दिया जिसे राज्यपाल ने असंवैधानिक कहा और राष्ट्रपति शासन लगाने की अनुशंसा कर दी.

राज्यपाल ने मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को एक और मौका दिया और 14 अक्टूबर को हुए मतदान में 100 के मुकाबले 106 मतों से विश्वास प्रस्ताव पास हो गया.

पांच निर्दलीय विधायकों की अपील पर एक नई बेंच 2 नवम्बर को फैसला लेगी. हाई कोर्ट ने पहले ही कहा है कि 14 अक्टूबर को हुआ विश्वास मत विधायकों की अपील पर उनके फैसले पर निर्भर होगा.

रिपोर्ट: पीटीआई/महेश झा

संपादन: आभा एम

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