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कथित अपमानजनक लेख पर टाइम ने माफी मांगी

७ जुलाई २०१०

भारतीय मूल के अमेरिकियों पर लिखे गए एक लेख पर टाइम मैगजीन ने माफी मांगी है. पत्रकार जोएल स्टाइन ने उस लेख में अमेरिका में बसे भारतीय समुदाय के बारे में कथित रूप से अपमानजनक बातें कही जिससे लोग नाराज थे.

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टाइम के मैनेजिंग एडीटर रिचर्ड स्टेनग्लतस्वीर: AP

इस लेख के प्रकाशित होने के बाद अमेरिका में बसे भारतीयों का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया और टाइम मैगजीन पर इस लेख के लिए माफी मांगने का दबाव बढ़ने लगा. आखिरकार टाइम ने बयान जारी कर कहा, "जोएल स्टाइन ने मजाक के लहजे में जो लेख लिखा अगर उससे किसी भी पाठक ने अगर अपमानित महसूस किया हो तो हो हम उसके लिए खेद प्रकट करते हैं. हमारा इरादा किसी को ठेस पहुंचाना नहीं था."

टाइम के पत्रकार जोएल स्टाइन ने भी अपने जवाब में दुख जताते हुए कहा कि इतने लोगों को ठेस पहुंचने से उन्हें बेहद बुरा लग रहा है. जोएल स्टाइन ने अपने कॉलम माय ओन प्राइवेट इंडिया में न्यू जर्सी के छोटे से शहर एडिसन में आए बदलाव को बयां किया. एडिसन में हाल के सालों में भारतीय समुदाय के लोग आकर बसे हैं जिससे वहां के माहौल में तब्दीली आई है.

न्यू जर्सी में हर पांच में से एक निवासी भारतीय मूल का अमेरिकी है. स्टाइन ने अपने लेख में कहा, "कुछ समय के लिए हमने माना कि सभी भारतीय बुद्धिमान होते हैं. फिर 1980 में डॉक्टर और इंजीनियर अपने साथ व्यापारी भाइयों को भी ले आए और फिर हम बुद्धिमानी वाली बात दावे के साथ नहीं कह सकते थे. 1990 में कम बुद्धिमान व्यापारी उनसे भी कम दिमागदार भाइयों को ले आए और हम समझने लगे कि भारत इतना गरीब क्यों है." यह लेख टाइम पत्रिका में पांच जुलाई को प्रकाशित हुआ.

स्टाइन लिखते हैं, "एडीसन में इतने भारतीय हैं कि वहां का माहौल बदल रहा है. इतनी बड़ी संख्या में भारत से लोगों के आने के बाद एडीसन शहरवासियों ने नए लोगों को डॉट हेड कहना शुरू कर दिया है. एक बच्चे ने तो भारतीय घरों से आबाद एक गली में चिल्लाना शुरू कर दिया कि वापस भारत जाओ." डॉट हेड भारतीयों और मध्य पूर्व से आए लोगों के लिए इस्तेमाल होने वाला अपमानजनक शब्द है.

इसके अलावा भी अपने लेख में जोएल स्टाइन ने ऐसी बातें लिखी हैं जिस पर भारतीय अमेरिकियों ने आपत्ति जताई है. माफी की मांग करते हुए जो खत लिखा गया उसमें कहा गया है कि टाइम जैसी प्रतिष्ठित पत्रिका में इस तरह के लेख को जगह नहीं मिलनी चाहिए थी. खत में मैगजीन से लेख हटाने और लेखक से माफी मांगने की मांग की गई है.

वहीं लेखक जोएल स्टाइन ने कहा है कि वह बताने की कोशिश कर रहे थे कि इमिग्रेशन से अमेरिका को कैसे फायदा पहुंचा है, खासकर उनके गृहनगर को. "जब भी मैं अपने शहर जाता हूं तो वहां बदले माहौल को देखकर मुझे हैरानी होती है. अगर हम इस बात को समझ सकें तो शायद इमिग्रेशन के दूसरे पहलू पर बहस करने में आसानी हो."

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: आभा एम