कंटेनर में रहेंगे बर्लिन वाले
२४ जून २०१३शहरों में मकानों के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं. अपना घर बनाने का सपना कई लोगों के लिए पूरी जिंदगी सपना ही रह जाता है. जैसे जैसे शहरों की आबादी बढ़ रही, जगह की कमी होती जा रही है और ना केवल इमारतें, बल्कि उनके किराए भी आसमान को छूने लगे हैं.
बर्लिन में भी यही हालात हैं. डेवलपर योर्ग डुसके ने इसका एक अनोखा समाधान निकाला है. वह कार्गो कंटेनरों को घरों की शक्ल देने जा रहे हैं. 11,000 वर्ग मीटर में 410 शिपिंग कंटेनर लगा कर वह एक स्टूडेंट विलेज बनाने की तैयारी में हैं. उन्होंने इसे एबा51 का नाम दिया है.
डॉयचे वेले से बातचीत में उन्होंने बताया, "बर्लिन में सस्ते फ्लैट ढूंढना बहुत मुश्किल काम है. मैं उम्मीद करता हूं कि इस प्रोजेक्ट से आर्किटेक्चर की दुनिया में लोगों को प्रेरणा मिलेगी, क्योंकि कंटेनर से 50 फीसदी तेजी से घर खड़े किए जा सकते हैं. यह एक अच्छा विकल्प है."
डबल और ट्रिपल कंटेनर
इन कंटेनरों को पूरे अपार्टमेंट की ही तरह डिजाइन किया जा रहा है. हर कंटेनर में एक ड्रॉइंगरूम, बेडरूम, किचन और बाथरूम होगा. 26 वर्ग मीटर के कंटेनर का किराया होगा 220 यूरो यानी करीब 15,000 रुपये. बर्लिन के किराए को देखा जाए तो यह काफी सस्ता है. लेकिन यह सस्ता विकल्प केवल यूनिवर्सिटी के छात्रों के लिए ही उपलब्ध होगा.
अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स में बारबिक्यू करने के लिए भी जगह होगी और टेबल टेनिस खेलने के लिए भी. साथ ही ऐसी रसोई भी होगी जहां छात्र मिल कर खाना बना सकें और पार्टियों का मजा ले सकें. हर कंटेनर एक व्यक्ति के लिए बनाया जा रहा है, लेकिन ऐसा नहीं कि यहां केवल कुंवारे की रह सकते हैं. डिजाइनर ने परिवार वाले छात्रों का भी ख्याल रखा है. अगर आप अपने पार्टनर के साथ रहना चाहते हैं तो डबल कंटेनर ले सकते हैं और अगर दोस्तों के साथ एक बड़े अपार्टमेंट में रहने का इरादा रखते हैं तो ट्रिपल यानी तीन कंटेनर वाला अपार्टमेंट भी बुक कर सकते हैं.
नया लुक
रहने का यह तरीका सस्ता और हट कर जरूर है, लेकिन इसमें भी कुछ खामियां हैं. बर्लिन के डिजाइनर टोबियास कुर्ट्स का कहना है, "मेटल के इस शेल को इंसुलेट करना आसन नहीं होगा, मतलब ये कंटेनर गर्मियों में अंदर से गरम और सर्दियों में ठंडे होंगे". सर्दियों में बर्लिन का तापमान शून्य से कई डिग्री नीचे जाता है.
डेवलपर योर्ग डुसके भी इस बात से अनजान नहीं हैं, "इन्हें स्टोरेज के लिए बनाया गया था, रहने के लिए नहीं, इसलिए हमें बहुत सी चीजों पर ध्यान देना है, जैसे कि सेंट्रल हीटिंग या फिर आग से बचाव".
डिजाइनर कुर्ट्स का मानना है कि इस तरह के प्रोजेक्ट से बर्लिन को एक नया लुक मिलेगा, "इस तरह की बेढंगी और नई इमारतें बर्लिन को एक नया माहौल देंगी और यह अच्छी बात है".
छात्रों की जरूरतें
डुसके का कहना है कि वह छात्रों की हर जरूरत का ख्याल रख रहे हैं और इसीलिए उन्हें इस प्रोजेक्ट के लिए जगह ढूंढने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. वह चाहते थे कि जगह सार्वजनिक यातायात से अच्छी तरह जुड़ी हो ताकि स्टूडेंट आसानी से कैम्पस पहुंच सकें और साथ ही वे बर्लिन की नाईट लाइफ का भी मजा ले सकें, "हम चाहते थे कि प्लॉट सिटी सेंटर के करीब हो, लेकिन वह बेहद महंगा था".
सिटी सेंटर से थोड़ा दूर सही, लेकिन डुसके का यह स्टूडेंट विलेज बस और ट्राम की लाइन से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है और यूनिवर्सिटी के भी करीब है.
प्रोजेक्ट पूरा तो अप्रैल 2014 तक होगा, लेकिन इसी साल सितंबर में जब नया सेमिस्टर शुरू होगा तो कई छात्रों को कंटेनर आवंटित कर दिए जाएंगे.
रिपोर्ट: मेलानी सेवचेंको/ ईशा भाटिया
संपादन: आभा मोंढे