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ओबामा की अपील, बात करें इस्राएल-फिलीस्तीन

७ जुलाई २०१०

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इस्राएल और फिलीस्तीन से अपील की है कि वे यहूदी बस्तियां बसाने पर लगी अस्थायी रोक की समयसीमा खत्म होने से पहले बातचीत की मेज पर बैठें और शांति वार्ता को शुरू करें.

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बेन्यामिन नेतन्याहु के साथ बराक ओबामातस्वीर: AP

इस्राएल और फिलीस्तीन में समझौते की मियाद सितंबर में खत्म हो रही है और ओबामा चाहते हैं कि इससे पहले कि शांति के तार टूटें, दोनों मुल्क बातचीत आगे बढ़ाएं.

ओबामा में मंगलवार को इस्राइल के प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहु से मुलाकात की. इस मुलाकात के दौरान अपने ओवल ऑफिस में ओबामा ने पत्रकारों से कहा कि इस्राएल को बड़े सुरक्षा खतरों से जूझना पड़ा है. उसके सामने ईरान के परमाणु कार्यक्रम का दबाव भी है.

दोनों नेताओं की यह मुलाकात अहम मानी जा रही है क्योंकि बराक ओबामा के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद से दोनों देशों के संबंधों में एक तनाव महसूस किया जा रहा था.

इस्राएल के बारे में ओबामा ने कई ऐसी बातें कहीं, जो अमेरिका की इस्राएल नीति के उलट थीं. अमेरिका के इस रूखेपन के कारण दोनों देश के बीच नजदीकियां कुछ कम हो गई थीं. ओबामा और नेतन्याहु की इस मुलाकात ने इस दूरी को पाटने का काम किया. ओबामा ने कहा कि इस्राएल और अमेरिका के रिश्ते अटूट हैं.

ओबामा ने उम्मीद जताई कि फिलीस्तीन और इस्राएल मिल कर शांति के लिए काम करेंगे. उन्होंने कहा कि मैं मानता हूं कि प्रधानमंत्री नेतन्याहु शांति चाहते हैं और इसके लिए वह खतरे उठाने को तैयार हैं.

लेकिन ओबामा की अपील का फिलीस्तीन पर ज्यादा असर नहीं हुआ. ओवल से बयान आने के कुछ ही देर बाद रामल्लाह में फिलीस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने कहा कि इस्राएल से सीधी बातचीत से पहले हमें अहम मुद्दों पर आगे बढ़ने पर ध्यान देना है.

अब्बास के प्रवक्ता नाबिल अबु रुदेनिया के हवाले से समाचार एजेंसी एएफपी ने कहा है कि महमूद अब्बास अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ किए गए अपने समझौतों पर कायम हैं और वह चाहते हैं कि इस्राएल से सीधी बातचीत से पहले सीमा और सुरक्षा जैसे मुख्य मुद्दों पर अप्रत्यक्ष तालमेल बने.

रिपोर्टः एजेंसिया/वी कुमार

संपादनः ए जमाल