ऑर्गन बनाने का राज
१९ जून २०१४कोलोन फिलहार्मोनी के हॉल में रखा ऑर्गन बनाया है ओर्गेलबाऊ क्लाइस कंपनी के कारीगरों ने. कंपनी 1882 में बनाई गई थी. चार पीढ़ियों से एक ही परिवार इस उद्योग को संभाल रहा है. ऑर्गन कारीगर फिलिप क्लाइस कहते हैं, "पाइप ऑर्गन के सभी हिस्से यहां हमारी वर्कशॉप में बनाए जाएं, यह अहम है. इसका कारण है क्वालिटी कंट्रोल. धातु की परतें हम खुद बनाते है और पूरी प्रक्रिया के हर कदम पर नजर रख सकते हैं. अगर आप कच्चे माल से शुरू करें तो पूरे काम पर नियंत्रण रखा जा सकता है."
ऑर्गन के पाइप बनाने वाली शीट टिन और सीसे की मिश्रधातु से बनती है. एक और कच्चा माल है इमारती लकड़ी, जिसकी फांके की जाती हैं. इनसे पाइप ऑर्गन का बाहरी हिस्सा, ढांचा और चेस्ट बनाए जाते हैं. क्लाइस की टीम में 65 लोग काम करते हैं. उनका कहना है कि वह सांस्कृतिक निर्यात करने की कोशिश नहीं करते. इसलिए अगर वह बीजिंग नेशनल बैंक थिएटर के लिए वाद्य बना रहे हैं तो वह ध्यान रखते हैं कि ऑर्गन चीन के संगीत की भाषा तो बोले ही, लेकिन इसमें अपनी जर्मन पहचान भी हो.
लेकिन सिर्फ अच्छा ऑर्गन काफी नहीं है. अच्छे ऑर्गन बिल्डर के लिए जरूरी है कि वह प्रोजेक्ट साझेदार के साथ मिल कर काम करे, खासकर आर्किटेक्ट के साथ. राल्फ श्वाइत्सर आर्किटेक्ट हैं और वह कहते हैं, "यह एक सुंदर चुनौती है, एक रोमांचक काम है जब आप देखते हैं कि किसी कमरे के लिए ऑर्गन बनाया जा रहा है. कमरे को खास ऑर्गन की आवाज और उसकी आकृति को देखते हुए बनाया जाता है. और आप जब ऐतिहासिक जगह के लिए डिजाइन करते हैं तो आपकी जिम्मेदारी बढ़ जाती है. इसे लंबे वक्त तक अच्छा दिखना होगा और लंबे समय तक इसे असर करना होगा."
बॉन के बीचों बीच ये चर्च 18वीं सदी में बनाया गया. चर्च में केवल दो दीवारों में खिड़कियां हैं इसलिए ऑर्गन को ऐसी जगह रखना था जिससे कि वह रोशनी को न रोके. ऑर्गन निर्माता कभी कभी ध्वनि विशेषज्ञों के साथ भी काम करते हैं. ऑर्गन निर्माता गेसा ग्राउमान का कहना है, "कभी कभी जब कमरा पहले से बना हो तो हम अकूस्टिशियन बुलाते हैं. हमारे लिए अहम है कि हम कमरा महसूस करें. जिसका मतलब है कि हम कमरे में जाएं, शोर मचाएं और ताली बजाएं और फिर देखें कि कमरा कैसे रिएक्ट करता है."
बढ़िया टीमवर्क, सालों का अनुभव और अच्छी क्वालिटी का माल. शानदार पाइप ऑर्गन बनाने के लिए ये सबसे जरूरी हैं.
रिपोर्टः परामिता कारिसा/एएम
संपादनः मानसी गोपालकृष्णन