ऑटो-ट्रेनों के युग का अंत
सड़क और रेल को एक छत के नीचे लाने का आयडिया कभी सफल रहा था, लेकिन अब उसके दिन लद गए. जर्मन रेल डॉयचे बान की कारों को ट्रांसपोर्ट करने वाली मालगाड़ी ने 31 अक्टूबर को आखिरी यात्रा की. परिवहन का एक युग समाप्त हो गया.
अत्यंत आरामदेह
अपनी कार से स्पेन या इटली घूमने के सपना बहुत से यात्रियों के लिए डॉयचे बान ने पूरा किया. वह भी किसी तनाव के और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाये बिना. हालांकि रेल से कार को छुट्टी की जगह पर भेजना सस्ता नहीं था. हैम्बर्ग से स्विट्जरलैंड तक दो वयस्कों और दो बच्चों का 370 यूरो, लेकिन रात भर की यात्रा के बाद अपनी कार में सफर जारी रखा जा सकता था.
पुराना आयडिया
1833 में पहली बार ऐसी रेलगाड़ियों का आयडिया आया था जिसमें लोगों के अलावा माल भी ट्रांसपोर्ट किया जा सके. यह स्केच फ्रीडरिष लिस्ट (1789-1846) का है. उदारवादी अर्थशास्त्री सीमाओं पर कस्टम लेने की समाप्ति और रेलगाड़ी के नेटवर्क के विस्तार के पक्षधर थे. लोगों और सामान के तेज ट्रांसपोर्ट में वे राष्ट्रीय समृद्धि और संस्कृति की ताकत देखते थे.
शुभ यात्रा
इस पुरानी तस्वीर में 1938 के करीब एक ऑटोमोबिल ट्रांसपोर्टर में कार की लड़ाई देखी जा सकती है. पिछले 86 सालों से जर्मन रेल कारों को यात्री रेलगाड़ियों के साथ ट्रांसपोर्ट कर रहा था. पहली अप्रैल 1930 को तेज मालगाड़ी के साथ पहली बार एक यात्री कोच भी हैम्बर्ग से बाजेल भेजा गया था. लेकिन असली तेजी 1960 के दशक में जर्मनी में समृद्धि आने के बाद आई.
अंतरराष्ट्रीय ऑफर
स्विट्जरलैंड के सिंप्लोन टनेल के उत्तरी छोड़ पर एक ऑटोमोबिल ट्रेन की ये तस्वीर 25 फरवरी 1960 को ली गई थी. जर्मनी के अंदर घरेलू लाइनों के अलावा फ्रांस, इटली, ग्रीस, हंगरी और तुर्की के लिए भी कार रेल सेवाएं शुरू की गईं. उन दिनों बर्लिन से इस्तांबुल जाने में 28 घंटे लगते थे. जर्मनी में कार करने वाले आप्रवासियों के कारण ये सेवाएं अत्यंत लोकप्रिय हुईं.
ओपेक का असर
जर्मन रेल का ये ऑफर यात्रियों और पर्यटकों ने पसंद किया. 1973 में जब खनिज तेल निर्यातक देशों के संगठन ओपेक ने तेल का उत्पादन घटाने का फैसला किया तो जर्मन रेल ने एक लाख 85 हजार 500 गाड़ियां ट्रांसपोर्ट कीं. 15 साल बाद भी इस सेवा की लोकप्रियता बनी हुई थी जब रेलगाड़ी से चार लाख यात्रियों और एक लाख 45 हजार कारों और मोटर साइकिलों को ट्रांसपोर्ट किया गया.
कार ट्रांसपोर्ट सेवा का पतन
1996 से ऑटो ट्रेन कहलाने वाली ये सर्विस इस बीच डॉयचे बान के लिए घाटे का कारोबार हो गई है. पिछले सालों में अच्छा बिजनेस न कर पाने की वजह से एक के बाद एक सारी सेवाएं बंद कर दी गईं. सिर्फ हैम्बर्ग-म्यूनिख और हैम्बर्ग-लोराख लाइनें चलती रहीं. ऑस्ट्रियन रेल अभी भी कारों के साथ वियना-हैम्बर्ग और वियना डुसेलडॉर्फ लाइन पर नाइट ट्रेन चला रही है.
फैसले की आलोचना
आलोचकों का कहना है कि जर्मन रेल सालों तक यात्रियों को 40 साल पुराने और घटिया कोचों में ले जाती रही है और इसके साथ उसने खुद ही ऑटो ट्रेनों के पतन में योगदान दिया है. लेकिन यह भी सच है कि इस बीच कार से यात्रा करना सस्ता नहीं रहा. लोग बजट एयरलायंसों से टिकट कटा रहे हैं और जरूरत पड़ने पर वहां ही कार किराये पर ले लेते हैं.
बंद होगी नाइट ट्रेनें भी
जर्मन रेल ने सिर्फ ऑटो ट्रेनों को ही बंद नहीं किया है, साल के अंत में नाइट ट्रेनें भी बंद कर दी जाएंगी. इन रूटों पर भी घाटा हो रहा है. एक तो तेज रफ्तार आईसीई ट्रेनों ने सफर का समय घटा दिया है, दूसरे नाइट ट्रेनों 40 साल पुरानी हो चुकी हैं और नए कोच खरीदने में भारी निवेश करना होगा. ऑस्ट्रियन रेल की गाड़ियां जर्मन रूटों पर भी चलती रहेंगी.
एक अपवाद भी
जर्मन रेल भले ही अपनी ट्रेनों को बंद कर रही हो, एक अपवाद बना रहेगा. वह है उत्तर सागर में स्थित जर्मनी के लोकप्रिय रिजॉर्ट द्वीप सिल्ट पर जाने वाली लाइन. एअमीरों की पसंद सिल्ट द्वीप पर सिर्फ रेलगाड़ी जाती है, वहां जाने के लिए सड़क नहीं है. इसलिए कारों को वहां ले जाना अभी तक जर्मन रेल के लिए फायदे का कारोबार है.