ऑक्सीटोसिन बनाए स्वार्थहीन
११ जून २०१०अक्सर आलिंगन या प्रेम का हॉरमोन कहे जाने वाले ऑक्सीटोसिन को मां प्रसव के दौरान बच्चे को देती है. गर्भ के दौरान और बच्चे को दूध पिलाने के दौरान यह हॉरमोन बड़े पैमाने पर तैयार होता है और मां के साथ बच्चे की निकटता बढ़ाता है. प्यार, शारीरिक संपर्क या आलिंगन के दौरान भी यह हॉरमोन सामान्य से अधिक मात्रा में पैदा होता है. पुराने अध्ययनों में वैज्ञानिकों ने साबित किया है कि ये हॉरमोन लेने से पराये लोगों में भरोसा पैदा होता है.
अब एम्स्टर्डम यूनीवर्सिटी के मनोवैज्ञानिकों ने पाया है कि यह हॉरमोन दूसरे के हित के लिए जीने वाला भी बनाता है. अध्ययन के दौरान 50 व्यक्तियों को तीन दलों में बांटा गया. खेल के दौरान उन्हें ऐसे फ़ैसले लेने थे जिनका वित्तीय असर खुद उनपर, उनके दल पर या प्रतिस्पर्धी दल पर पड़ता.
खेल शुरू करने से पहले कुछ भागीदारों की नाक में ऑक्सीटोसिन हॉरमोन स्प्रे किया गया. अध्ययन करने वाले मनोवैज्ञानिकों ने साइंस पत्रिका में एक रिपोर्ट में कहा है कि ऑक्सीटोसिन के प्रभाव वाले लोगों का व्यवहार दल के अंदर अधिक सहयोगात्मक और निःस्वार्थी था.
पिछले दिनों एक अध्ययन में पता चला था कि परेशान बच्चों को शांत करने के लिए मां का एक टेलिफ़ोन भी काफी है. शांत करने वाला हॉरमोन भी ऑक्सीटोसिन ही है. इस अध्ययन के लिए 7 से 12 साल के 61 बच्चों को तीन दलों में बांटा गया और उनसे अजनबी लोगों के सामने कुछ करने को कहा गया. एक दल के बच्चों में मांओं ने उपस्थित होकर ढाढस बंधाया, दूसे दल को मांओं ने टेलिफ़ोन पर दिलासा दिलाया और तीसरे दल का मां के साथ कोई संपर्क नहीं हुआ.
शोधकर्ताओं ने पाया कि जब बच्चों को मां से मिलने या बात करने का मौका मिला उन्होंने समान मात्रा में ऑक्सीटोसिन हॉरमोन पैदा किया. जर्मन शहर बॉन के एक शोधकर्ता ने पाया है कि पुरुषों को कम मात्रा में भी ऑक्सीटोसिन देने से वह महिलाओं की तरह संवेदनशील हो सकते है.
ऑक्सीटोसिन पुरुषों को भावनात्मक रूप से दूसरे लोगों के मन को समझने की क्षमता देता है. बॉन के मनोचिकित्सा क्लिनिक के रेने हुरलेमन का कहना है कि अध्ययन में ऑक्सीटोसिन दल का भावनात्मक स्तर काफी ऊंचा था, एक स्तर जो आमतौर पर महिलाओं का होता है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: एस गौड़