ऐसी है आईएस की 'राजधानी' रक्का
सीरिया का रक्का शहर आतंकवादी गुट इस्लामिक स्टेट की अघोषित राजधानी है. अब अमेरिका के समर्थन से कुर्द अरब सीरिया डेमोक्रेटिक फोर्स ने इस शहर को फिर से हासिल करने के लिए अभियान का एलान किया है.
जब रक्का आबाद था
सीरिया में 2011 में गृहयुद्ध शुरू होने से पहले रक्का में दो लाख 40 हजार लोग रहते थे. लेकिन इनमें से 80 हजार लोग अब दूसरी जगहों पर जा चुके हैं.
हाथ से निकला रक्का
तुर्की की सीमा के नजदीक यूफ्रेटस नदी पर बसा रक्का मार्च 2013 में ऐसी पहली प्रांतीय राजधानी थी जिस पर विद्रोहियों का कब्जा हुआ. उस वक्त अल कायदा से जुड़े अल नुसरा फ्रंट ने इस पर कब्जा किया.
रक्का के लिए फूट
जनवरी 2014 में विद्रोहियों में आपस में लड़ाई छिड़ गई. इसमें एक तरफ अल नुसरा लड़ाके थे तो दूसरी तरफ वे जिन्होंने बाद में इस्लामिक स्टेट बनाया. लेकिन कामयाबी इस्लामिक स्टेट की बुनियाद रखने वालों को मिली.
खिलाफत
पांच महीने बाद इराकी शहर मोसुल भी आईएस के कब्जे में आ गया और फिर आईएस के प्रमुख अबु बक्र अल बगदादी ने अपनी खिलाफत का एलान किया.
दहशत से राज
इस्लामिक स्टेट ने रक्का में स्कूलों में ड्रेस कोड लागू किया और चर्चों को हमलों का निशाना बनाया. कई लोगों को अगवा किया और कइयों के सिर कलम किए.
नर्क का चौक
शहर के जिस इलाके को कभी हेवन स्क्वेयर यानी स्वर्ग चौक कहा जाता था, उसका इस्तेमाल अब घिनौनी सजाएं देने के लिए किया जाता है जिससे लोग इसे नर्क का चौक कहने लगे.
यौन गुलामों का कारोबार
रक्का के मुख्य इलाके में यौन गुलामों का कारोबार होता है, खास कर अगवा की गई यजीदी लड़कियों को यहां बेचा जाता है.
शराब सिगरेट बैन
जिहादियों ने रक्का में कड़े इस्लामी कानूनों को लागू करते हुए शराब और सिगरेट पर बैन लगा रखा है. पुरुषों को दाढ़ी न काटने की हिदायत है तो महिलाओं को हर हाल में नकाब पहनने को कहा गया है.
खरीददारी पर भी नियम
दुकानों में खरीददारी करने के लिए सिर्फ शादीशुदा लोग जा सकते हैं और वहां प्लास्टिक के पुतले रखने की सख्त मनाही है.
नई व्यवस्था, नया निजाम
आईएस ने सभी प्रशासनिक कार्यों पर अपना नियंत्रण कर लिया है. वह स्कूलों का नया पाठ्यक्रम तय कर रहा है, नई इस्लामी अदालतें बना रहा है और शरिया कानून के मुताबिक नीतियां बना रहा है.
रक्का से ही सब चलता है
सीरिया की राजधानी दमिश्क से 550 किलोमीटर पूर्वोत्तर में स्थित रक्का में हजारों विदेशी जिहादी भी आईएस में शामिल होने जाते हैं. खुफिया एजेंसियां का कहना है कि इसी शहर में विदेशों में हमलों की योजनाएं तैयार होती हैं.
विदेशियों से जलन
आईएस के लिए लड़ने वाले विदेशियों को भरपूर सुख सुविधाएं दी जाती हैं. इसे लेकर अक्सर सीरियाई लोग अपनी आपत्ति भी जताते हैं जिन्हें विदेशी लड़ाकों के मुकाबले कमतर समझा जाता है.