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ऐसा ज़ुल्म न करें

१० नवम्बर २०१०

हमें हर रोज अपने पाठकों के हजारों ईमेल्स और खत मिलते हैं. आप लोग हमसे अपनी खुशियां बांटते हैं, हम पर गुस्सा करते हैं, शिकायत करते हैं...यह सब हमारे सिर आंखों पर. पढ़िए, कुछ ऐसी ही बातें.

https://p.dw.com/p/Q3z1
तस्वीर: AP

सर्वप्रथम मैं आपको अभिवादन करना चहूंगा. कुछ देर पहले ही मालूम चला कि आपने रेडियो प्रसारण बंद कर दिया है. आपका यह कदम एकदम अफसोसनाक व दु:खद है. मैं तो यह चाहूंगा कि आप रेडियो प्रसारण फिर से शुरु करें. आपका प्रसारण सुदूर क्षेत्रों के लिए काफी महत्व वाला साबित होता था. जहां लोग रेडियो के समाचार पर निर्भर रहते हैं. वहां समाचार पत्रों की तवज्जो कई कारणों से रेडियो से कम मिलती है. वजह लोगों के लिए समाचार पत्र का मूल्य वहन करना काफी मुश्किल होता है. इस कारण से लोग रेडियो को वरीयता देते हैं. कुछ ऐसा ही वायस ऑफ अमेरिका हिंदी सेवा के साथ हुआ था. आज तो उसकी वेबसाइट भी बंद हो गई है. आपके जैसी ही बातें वे भी करते थे. सो मन में यह बात आई है कि आपका भी यही अंजाम न हो जाए. यह भी गाज हिंदी कार्यक्रम पर ही क्यों गिरी है? जाहिर है आपका यह कदम कतई सही नहीं कहा जा सकता.

पवन कुमार पंकज

संदलपुर, महेन्द्रू, पटना, बिहार

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आज प्रसारित अंतरा के अंतर्गत जर्मनी में अप्रवासी समुदाय के परिवारों में लडकियों की मर्जी के बिना उनकी शादी की घटनाएं और उसके खिलाफ जर्मन सरकार द्वारा उठाये गए कदमों से सम्बन्धित जानकारी सुनी. यह मामला बड़ा ही गंभीर है, जिसकी जितनी भी सज़ा दी जाए कम होगी. जबरन शादी मानव अधिकार का खुल्लमखुला उलंघन है. इस प्रकार की हिंसा की समाज में निंदा होनी चाहिये.

अतुल कुमार

राजबाग रेडियो लिस्नर्स क्लब, सीतामढ़ी, बिहार

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आप लोगों ने एक अच्छा प्रयास किया है. लोगों को आपकी ख़बरों से और आपसे जोड़ने का. वैसे शुरू शुरू में तो मैं भी यही सोच कर वेबसाइट पर जाता था किन्तु अब तो इसकी आदत हो गई है. रोजाना ख़बरें पढ़ना अच्छा लगता है. और ख़बरों का स्तर काफी अच्छा है. खास तौर पर खोज और सरोकार का तो जवाब ही नहीं है. और उम्मीद करता हूं कि आपकी वेबसाइट पर अच्छे स्तर की ख़बरें देखने को मिलेंगी.

फिलहाल मैं सऊदी अरब में हूं हज ड्यूटी के लिए. दिसंबर के महीने में वापस इंडिया जाऊंगा. मैं यहां भी समय निकालता हूं आपकी ख़बरें पढ़ने के लिए.

मोहम्मद मोहतसीम

मुज़फ्फरनगर, उत्तर प्रदेश

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यह जानकर दुःख हुआ कि आपने रेडियो प्रसारण बंद कर दिया है. हालांकि मैं पिछले कई सालों से रेडियो न सुनकर इंटरनेट ही यूज़ करता हूं फिर भी रेडियो से इतना लगाव है क्योंकि डॉयचे वेले का प्रसारण कई साल तक रेडियो पर ही सुना. प्लीज इसे बंद मत कीजिए, क्योंकि भारत के गांवों और कस्बों में अभी भी लोग हर वक्त इंटरनेट का प्रयोग नहीं कर सकते जबकि रेडियो बहुत आसानी से उपलब्ध है, कहीं भी. चाहे आप घर में हों या बाहर.

अनूप अग्रवाल

आर ए पुरम, चेन्नई

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देशों की दोस्ती भावनाओं से नहीं उभयपक्षी लाभ के गणित पर होती हैं. पुराने दिनों में जब रूस प्रभावशाली था , अमेरिका से हमारी दोस्ती में दूरियां थीं. आज भी विभिन्न कारणों से अमेरिका पाकिस्तान के ज्यादा करीब है. पर भारत की प्रजातांत्रिक ताकत और विकासवादी सकारात्मक वैश्विक नीतियों के कारण हम से दोस्ती अमेरिकन मजबूरी बन चुकी है. जब तक लाभ उभयपक्षी रहेंगे भरोसे कायम रहेंगे.

विवेक रंजन श्रीवास्तव

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आपने शॉर्ट वेव प्रसारण बन्द करके हम जैसे श्रोताओं के दिलों को तोड़ दिया है. इसी गम में मैंने इस सप्ताह कोई अंतरराष्ट्रीय प्रसारण नहीं सुना. सुनने का मन ही नहीं करता. शॉर्ट वेव बंद करने का आपका निर्णय गलत है. एक झटके में आपने हमसे सम्बन्ध तोड़ लिया. यह भी नहीं सोचा कि हमारे दिल पर क्या बीतेगी. अपने अंतिम सम्बोधन में जो आपने कहा, उससे ऐसा कतई नहीं लगा कि आपके दिल में कोई पीड़ा है. मुझे सबसे ज्यादा दुःख हुआ. गत 26 सालों से आपका प्रसारण सुन रहा हुं. टीवी पर डॉयचे वेले एशिया चैनल कभी देख लेता हूं तो दिल हल्का हो जाता है.

उमेश कुमार शर्मा

स्टार लिस्नर्स क्लब, नारनौल, हरियाणा

संकलन: कवलजीत कौर

संपादनः वी कुमार