एयरपोर्ट पर जासूसी
१ फ़रवरी २०१४एनएसए के पूर्व कॉन्ट्रैक्टर स्नोडेन द्वारा लीक किए गए इस दस्तावेज में कहा गया है कि कनाडा के एक हवाई अड्डे पर लगे वाई फाई का इस्तेमाल कर दो हफ्ते तक यात्रियों का डाटा जमा किया गया. हालांकि इसमें यह नहीं बताया गया है कि किस हवाई अड्डे पर ऐसा किया गया. यात्रियों की सारी जानकारी कनाडा की खुफिया एजेंसी कम्युनिकेशंस सिक्यूरिटी एस्टैब्लिश्मेंट कनाडा (सीएसईसी) को भी दी गई.
इसके बाद कम से कम एक हफ्ते तक इन यात्रियों पर नजर रखी गयी. वे कनाडा में जब भी जहां भी वाई फाई से जुड़े खुफिया एजेंसी को उनकी हर गतिविधि की सूचना मिलती रही. ऐसा मई 2012 में किया गया. सीएसईसी ने एक हद तक यह बात मानी भी है. एजेंसी का कहना है कि लोगों की लोकेशन और उनके फोन नंबर को जरूर जमा किया गया, पर फोन पर की गयी बातचीत या अन्य किसी भी तरह की जानकारी को नहीं.
लीक हुए दस्तावेज में 27 पेज की एक पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन है. सीएसईसी ने अपनी वेबसाइट पर इस बारे में सफाई देते हुए अपने काम को समझाने की कोशिश की है. सीएसईसी का काम अंतरराष्ट्रीय फोन कॉल को रिकॉर्ड करना और अंतरराष्ट्रीय इंटरनेट ट्रैफिक पर नजर रखना है ताकि दूसरे देशों की खुफिया गतिविधियों को समझा जा सके. बगैर सरकारी वारंट के यह एजेंसी कनाडा के आम नागरिकों की जासूसी नहीं कर सकती.
एजेंसी के प्रवक्ता लॉरी सलिवन ने कहा कि विदेशी यात्रियों की जानकारी जमा नहीं की गयी है. उन्होंने कहा कि जो प्रेजेंटेशन लीक हुई है वह कल्पना मात्र पर आधारित है और उसका मकसद है कि तकनीकी स्टाफ विदेशी यात्रियों पर होने वाले खतरों को भांप सके. उन्होंने कहा कि इस तरह की अफवाहों से एजेंसी की खुफिया तकनीकों को नुकसान पहुंच सकता है. सलिवन ने कहा कि 2011 में एजेंसी के अध्यक्ष ने काम काज की जांच की और उन्हें कानूनी पाया. फिलहाल एक नई जांच पर काम किया जा रहा है.
दस्तावेज में इस बात के संकेत हैं कि एनएसए कनाडा की खुफिया एजेंसी के साथ मिल कर एक नया सॉफ्टवेयर बनाने पर काम कर रही है जिस से यात्रियों पर नजर रखी जा सके. एजेंसी ने इसे 'गेम चेंजिंग' का नाम दिया है. एक टेस्ट के तहत दो हफ्ते तक जासूसी की गयी और उसके नतीजे इस प्रेजेंटेशन में दिखाए गए.
आईबी/एमजे (एपी)