कहां है एमएच 370
६ मार्च २०१५एक साल पहले लापता हुए विमान की खोज करने वाले जांचकर्ताओं ने इस दौरान विमान का पता लगाने में रात दिन एक कर दिए. वहीं रिश्तेदार जानना चाहते हैं कि उनके अपनों के साथ 8 मार्च 2014 के दिन आखिरी पलों में क्या हुआ होगा. हादसे के बाद कई लोगों की जिंदगी बदल गई. सारा बाज्क के मंगेतर फिलिप वुड भी मलेशियन एयरलाइंस के एमएच 370 विमान में सवार थे.
बिखर गई जिंदगी
सारा कहती हैं, "फिलिप के लापता होने से हर तरीके से मेरी जिंदगी पर असर पड़ा है. मेरी रोजमर्रा की जिंदगी और भविष्य को लेकर मेरी योजनाएं पूरी तरह बदल गई है. मेरा ध्यान आए दिन भटकता रहता है और मैं उस सच को जानना चाहती हूं जिसका सामना फिलिप ने किया. मैं हर दिन कई घंटे रिसर्च में बिताती हूं, विशेषज्ञों से चर्चा करती हूं, दूसरे परिवारों से बातचीत करती हूं. मीडिया से बात करती हूं. अब मैं दो तरह की फुल टाइम नौकरी कर रही हूं, स्कूल में पढ़ा रही हूं और फिलिप को खोज रही हूं."
परिजनों की नाराजगी
239 लोगों को लेकर मलेशिया की राजधानी क्वालालम्पुर से बीजिंग के लिए निकले इस विमान का साल भर बाद भी कोई सुराग नहीं मिला है. अब तक खोज अभियान में 10 करोड़ डॉलर से ज्यादा खर्च हो चुके हैं. सैटेलाइटों की मदद से पता चला है कि विमान लापता होने के बाद भी करीब 3,000 किलोमीटर तक उड़ान भरता रहा और आखिरी बार वह ऑस्ट्रेलिया में पर्थ से काफी दूर हिंद महासागर के ऊपर पकड़ में आया. इस दौरान विमान के ट्रांसपोंडर बंद थे. एयर ट्रैफिक कंट्रोल से उसका संपर्क कटा हुआ था.
ऐसा क्यों हुआ, विमान कहां गिरा, ये सवाल अब भी वहीं खड़े हैं जहां साल भर पहले थे. सारा अब एमएच 370 में सवार दूसरे लोगों के रिश्तेदारों के साथ मिलकर एक अभियान भी चला रही हैं. अधिकारियों के रूख से परिजन बेहद आहत है. वे मिलकर पैसा भी जुटा रहे हैं ताकि किसी भेदिये को दिये जा सकें. कई लोगों को शक है कि विमान हादसे का असली कारण छुपाया जा रहा है.
बदला नागरिक उड्डयन
मलेशिया ने आधिकारिक रूप से यह मान लिया है कि विमान हादसे का शिकार हो चुका है. मृतकों के परिवारों को मुआवजा देने की प्रक्रिया जारी है.
बोइंग 777-200 जैसे अत्याधुनिक विमान का इस तरह लापता हो जाना विमान जगत के सबसे रहस्यमयी हादसों में गिना जाता है. इस हादसे के बाद अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन के नियम बदले जा रहे हैं. 2016 से हर 15 मिनट बाद कर्मशियल फ्लाइट की रियल टाइम लोकेशन दर्ज की जाएगी. विमान खुद ऑटोमैटिक सिग्नल भेजेगा. बोइंग ने अपने ड्रीमलाइनर में यह तकनीक लगा दी है. वहीं एयरबस ने ए 380 और ए 330 में हर 10 मिनट बाद ट्रैकिंग सिस्टम लगा दिया है.
ओएसजे/आरआर (एएफपी, डीपीए, रॉयटर्स)