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एफ्रो-अमेरिकन्स के अधिकारों का हनन करती पुलिस

आरपी/एमजे (रॉयटर्स,एपी)१० अगस्त २०१६

अमेरिकी कानून मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में माना है कि पुलिस ने कई मौकों पर एफ्रो-अमेरिकन्स के संवैधानिक अधिकारों का हनन किया है. अब पुलिस विभाग के भीतर से उसमें सुधार की कोशिशें हो रही हैं.

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USA Polizei und Demonstranten in Baton Rouge
तस्वीर: Getty Images/M. Wallheiser

लॉस एंजेलिस शेरिफ विभाग के पुलिसकर्मी ने एक निहत्थे अश्वेत को संदिग्ध समझकर गोली मार दी थी. शेरिफ विभाग ने जानलेवा गलती मानी है और कहा है कि कॉम्पटन में एक ब्लैक व्यक्ति को गोली मारने वाले पुलिसकर्मी से गलती हो गई थी. पुलिस ने उसे कार लूटने वाला समझ कर उस पर गोली चलाई थी. 27 साल के डोनेल थॉम्पसन की मौत का ये मामला एफ्रो-अमेरिकन्स के प्रति पुलिस की त्वरित और बर्बर प्रतिक्रिया को साफ करती है.

USA Protest gegen Polizeigewalt
तस्वीर: picture alliance/AP Photo/P. Semansky

पुलिस की ये स्वीकारोक्ति ऐसे दिन आई जब ठीक दो साल पहले 9 अगस्त को मिसौरी प्रांत के फर्गुसन में अश्वेत माइकल ब्राउन को एक पुलिसकर्मी ने गोली मार दी थी. ब्राउन भी निहत्था था. गोली मारने वाले पुलिसकर्मी पर कभी कोई कार्रवाई नहीं हुई. कहा गया कि उसने आत्मरक्षा में गोली चलाई थी. उसके बाद से कई और ऐसे मामले हुए हैं मिनीसोटा, इलीनॉय और दक्षिण कैरोलाइना में उन्हें फिल्माया भी गया है. ब्लैक लोगों के ऊपर गैरवाजिब पुलिस कार्रवाइयों को लेकर पूरे अमेरिका में गुस्से और असंतोष की लहर है. कानून मंत्रालय के एक विश्लेषण में सामने आया है कि फर्गुसन के पुलिस विभाग और न्यायलय में नस्लवादी पूर्वाग्रह थे.

अमेरिकी कानून मंत्रालय की रिपोर्ट में यह भी माना गया है कि बाल्टिमोर पुलिस ने भी लगातार कई मौकों पर एफ्रो-अमेरिकन नागरिकों के अधिकारों का हनन किया. इनमें असंवैधानिक तरीकों से रोका जाना, गिरफ्तारी और उन पर जरूरत से ज्यादा बल प्रयोग किया जाना शामिल है. इस 163 पेज की रिपोर्ट में एक साल पहले पुलिस हिरासत में फ्रेडी ग्रे की मौत के बाद से हुई जांच का पूरा ब्यौरा दिया गया है और पाया है कि बाल्टिमोर पुलिस विभाग ने एफ्रो-अमेरिकन लोगों के मामले में कई बार अमेरिकी संविधान के पहले संशोधन के उलट गैरकानूनी बर्ताव किया.

हालांकि इसी रिपोर्ट में जोड़ा गया है कि पुलिस विभाग "अपनी नीतियों, ट्रेनिंग, डाटा प्रबंधन और जवाबदेही तंत्र में स्वयं सुधार करने की प्रक्रिया शुरु कर चुका है." करीब 16 महीने पहले बाल्टिमोर में 25 साल के ग्रे को हिरासत में लेकर पुलिस की गाड़ी में ले जाया जा रहा था, जब गर्दन टूटने के कारण वह कोमा में चला गया और एक हफ्ते के बाद अस्पताल में ग्रे की मौत हो गई.

इस घटना से उपजे रोष के कारण बाल्टिमोर में दंगे और विरोध प्रदर्शन हुए. छह लाख से अधिक आबादी वाले बाल्टिमोर में ज्यादातर ब्लैक लोग रहते हैं. ब्लैक लोगों के प्रति पुलिस के अनुचित रवैए को लेकर राष्ट्रीय स्तर की बहस ने यहीं से जोर पकड़ना शुरु किया और आगे चलकर 'ब्लैक लाइव्स मैटर' अभियान की शुरुआत हुई. पिछले ही महीने ग्रे मामले के छह आरोपी पुलिसवालों में से चार अधिकारियों को दोषमुक्त पाया गया. अभियोजन पक्ष ने बाकी के आरोप वापस ले लिए.