एक शीशे ने गांव में पहुंचाया सूरज
३१ मार्च २०१७इटली के विगानेला गांव के लोगों की सर्दियां छांव में ही बीतती रहीं. साल में तीन महीने यहां धूप बिल्कुल नहीं आती और गांव ठंड से ठिठुरता रहता है. ठंड और छाया से परेशान कई लोग गांव छोड़ चुके हैं. लेकिन विगानेला के डिप्टी मेयर पियर फ्रांको मिडाली ने गांव में धूप लाने की ठानी. ट्रेन ड्राइवर रह चुके मिडाली अपने गांव को जिंदा रखना चाहते हैं.
वह बताते हैं, "हमारी मंजिल गांव के ऊपर का चट्टानी पहाड़ है. वहां एक दर्पण है. वह धूप को परावर्तित कर विगानेला के चौक पर भेजेगा."
वहां तक पहुंचने के लिए एक घंटा चढ़ना पड़ता है. दर्पण को नए उपकरणों और मरम्मत की जरूरत है. मैटीरियल को वहां तक पहुंचाने के लिए केबल ट्रॉली का सहारा लिया जाता है. पाइमोंट की अंत्रोना वैली के पहाड़ इतने खड़े हैं कि वहां सड़क बनाना मुमकिन नहीं. यही वजह है कि धीमे धीमे ऊपर चढ़ने वाली ट्रॉली का सहारा लेना पड़ता है.
और आखिर में कुछ दूरी तक पियर फ्रांको को सामान खुद ढोना पड़ता है. घाटी से 1,100 मीटर ऊपर लगाए गये आठ गुणा पांच मीटर आकार वाले शीशे तक ऐसे ही पहुंचा जाता है. दस साल पहले इस शीशे को लगाकर पियर फ्रांको ने अपना एक सपना पूरा किया, वो छांव में जकड़ी घाटी में धूप की गुनगुनाहट ले आए.
मिडाली कहते हैं, "यह मैटीरियल 95 फीसदी सूर्य की रोशनी को परावर्तित करता है. यह करीब करीब पूरी धूप है. लेकिन धूप की कुछ ताकत हवा में मौजूद नमी और धूल के कणों से कम हो जाती है. रोशनी को गांव तक पहुंचने के लिए एक किलोमीटर का सफर करना पड़ता है."
दो साल पहले आग की वजह से कंट्रोल यूनिट खराब हो गई थी, जिसके चलते सर्किट और हाइड्रॉलिक पिस्टल बेकार हो गए. खराबी के चलते दर्पण जाम सा हो गया और गांव फिर से अंधेरे में चला गया. लेकिन रिपेयर के बाद रोशनी फिर गांव में लौट आई.
धूप कुछ छतों को भी छूती है और ऐसी जगहों पर भी पहुंचती है जहां हमेशा छाया ही पसरी रहती थी. जाहिर है कि फ्रांको मिडाली की मेहनत है. वह कहते हैं, "आपको थोड़ा बहुत क्रेजी होना पड़ता है, सकारात्मक रूप से ताकि नए विचार और दृष्टिकोण विकसित हों. इसकी मदद से आस पास की छोटी सी दुनिया में कुछ चीजें तोड़ी जा सकती है."
पियर फ्रांको को उम्मीद है कि दर्पण गांव और उनके कारोबार का रोशन करता रहेगा. इस दौरान वे कुछ और आइडियाज पर काम करते रहेंगे.