एक दिन धरती के लिए
बदलता मौसम
कहीं बाढ़, तो कहीं सूखा, कहीं बादल तो कहीं आग. बदलती जलवायु के कारण धरती का मौसम भी बदल रहा है. दरकार है हमारी धरती मां को देखभाल की...
ग्रीन कैमल बेल
जलवायु परिवर्तन से लड़ने में चीन की भूमिका अहम है. यहां की बढ़ती आबादी और तेज आर्थिक विकास को ढेर सारी ऊर्जा की जरूरत है. इसके लिए पर्यावरण का नुकसान करने वाले कोयले का भारी इस्तेमाल होता है. झाओ झोंग चीन की आबोहवा बचाने के लिए लंबे समय से सक्रिय हैं. उन्होंने ग्रीन कैमल बेल नाम का संगठन बनाया है.
तेल के इलाके में पर्यावरण
पिछला विश्व जलवायु सम्मेलन कतर के रेगिस्तान दोहा में हुआ. यह इलाका तेल और गैस के निर्यात से चलता है और भरपूर मात्रा में ग्रीन हाउस गैसों को पर्यावरण में उड़ेलता है. खाड़ी देशों की राजशाही में पर्यावरण के नाम पर कहीं कोई मुहिम या प्रदर्शन नहीं दिखता. जलवायु सम्मेलन यहां अपनी तरह का पहला आयोजन था.
दुनिया की सोचो
असल जिम्मेदारी तो पेशेवर पर्यावरणवादियों की है लेकिन स्थानीय कार्यकर्ताओं को भी इस बारे में जागरूक किया जा रहा है. उलरिके रॉयटलिंगर और लुकस सीमर ग्रीनपीस बॉन के स्थानीय दफ्तर में सक्रिय हैं. यह लोग जिन बातों का विरोध कर रहे हैं उसमें आर्कटिक में तेल कुओं की खुदाई और कुछ दूसरी चीजें शामिल हैं.
वर्षा वनों को बचाओ
वर्षा वनों को पृथ्वी का फेफड़ा भी कहा जाता है. यह जैव विविधता और दुनिया के पर्यावरण दोनों के लिए बेहद जरूरी हैं. सैमुएल गिफो कैमरून में अटॉर्नी हैं. वह बहुत सक्रिय रूप से उष्णकटिबंधीय वर्षावनों को बचाने में जुटे हैं. कृषि के लिए जमीन और लकड़ी की भारी मांग के कारण यह चुनौती आसान नहीं है.
पर्यावरण बचाने में खतरा
यूक्रेन के संगठन ग्रीन फ्रंट के डिप्टी चेयरमैन ओलेग पेरेगॉन साफ वातावरण के लिए काम कर रहे हैं और जानते हैं कि इसके लिए जंगल जरूरी है. अगर उनका काम व्यापारिक हितों के खिलाफ हो तो प्रशासन भी इनका दुश्मन बन जाता है. यूक्रेन में पर्यावरण बचाने के लिए काम करना भी खतरे से खाली नहीं.
प्रमुख चेहरे
कुछ कार्यकर्ता ध्यान खींचने के लिए दूसरों का चेहरा लगाते हैं. यहां जर्मनी और पोलैंड के पर्यावरणवादी पोलैंड की परमाणु बिजली घर बनाने की योजना के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. इन लोगों की मांग है कि कोयले से चलने वाले बिजली घरों को भी दोबारा इस्तेमाल होने वाली ऊर्जा से बदला जाए.
कचरा सफाई
सिर्फ धरती ही नहीं समंदर भी ऐसे कचरे से जूझ रहा है जिसे खत्म होने में सालों लगते हैं. ऐसे में कचरे की रिसाइक्लिंग बहुत जरूरी है.
कोयले की जगह लहरों से ऊर्जा
केवल प्रदर्शन भर से पर्यावरण का भला नहीं होगा. नई तकनीक भी आ रही हैं. स्वच्छ ऊर्जा का विकास कार्बन डाइ ऑक्साइड का उत्सर्जन रोकने में मदद कर सकता है. रिचर्ड येम ने वेव जेनरेटर पेलामिस बनाया है. स्कॉटलैंड का यह इंजीनियर जर्मन लोगों के साथ मिल कर समुद्र की लहरों की ऊर्जा का इस्तेमाल करने के फिराक में है.
पर्यावरण के लिए सौर उर्जा
सौर ऊर्जा का विकास भी पर्यावरण के लिए मुफीद है. जानकारों का मानना है कि उत्तर अफ्रीका और मध्यपूर्व के देशों में सौर बिजली घरों का नेटवर्क बना कर इन देशों और यूरोप को बिजली दी जा सकती है. मोरक्को के इन मजदूरों की तरह ही दूसरे लोग भी सौरऊर्जा की वकालत कर रहे हैं जो पर्यावरण के लिए बेहतर है.
चाहे बर्फ हो या रेत
धरती की सुदूर जगहों आर्कटिक और अंटार्कटिका में नॉर्वे के पोलर इंस्टीट्यूट के केनीशी मात्सुओका पर्यावरण की पड़ताल कर रहे हैं. यहां से वे रडार के जरिए आंकड़े जमा करते हैं. बेल्जियम की एक संस्था यह जानने में लगी है कि बर्फ की चादर कितनी तेजी से पतली हो रही है.
घर से शुरुआत
स्कॉटलैंड के किसान एलिस्टर डाउसन धरती को अपने बच्चों के लिए बचाए रखना चाहते हैं. किनरोस में अपनी जमीन के पास उन्होंने पर्यावरण के एकदम अनूकूल घर बनाया है. इसमें प्राकृतिक और रिसाइकिल की गई चीजों का इस्तेमाल हुआ है.