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एक तिहाई सांसद अपराध के आरोपी

१९ मई २०१४

भारत की नई संसद में पहले से ज्यादा आपराधिक छवि वाले सांसद होंगे. लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर नजर रखने वाले एक संगठन का कहना है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में अपराध अभी भी फायदेमंद है.

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पप्पू यादवतस्वीर: UNI

मनोनीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को अपने सफल चुनाव अभियान का केंद्रीय मुद्दा बनाया था. उनके नेतृत्व में बीजेपी और उसके साथियों को आम चुनावों में भारी बहुमत मिला है. किसी पार्टी को तीन दशक बाद पहली बार संसदीय चुनावों में स्पष्ट बहुमत मिला है.

बीजेपी बहुमत सीटें जीतने में कामयाब जरूर रही है, लेकिन उसके 288 सांसदों में बहुतों पर गंभीर आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं. हत्या का मुकदमा झेल रहे 9 सांसदों में 4 बीजेपी के हैं. एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रैटिक रिफॉर्म्स संगठन के अनुसार नई संसद में जीतने वाले नेताओं में 34 फीसदी के खिलाफ आपराधिक मुकदमे लंबित हैं. उम्मीदवारों द्वारा चुनाव के लिए दिए गए प्रमाण पत्रों के आकलन के बाद एडीआर ने कहा है कि यह 2009 के मुकाबले 4 फीसदी ज्यादा है. इनमें से 21 फीसदी के खिलाफ हत्या, अपहरण और यौन हमले के आरोप हैं. पिछले चुनावों के मुकाबले यह 15 फीसदी ज्यादा है.

भारत में राजनीतिक दल असर अपराधियों को टिकट देते हैं जो अपना चुनाव खर्च खुद उठाते हैं. देश में चुनाव पर खर्च होने वाली रकम काफी बढ़ गई है. एक अनुमान के अनुसार इस साल चुनाव पर 5 अरब डॉलर खर्च किए गए हैं. विश्लेषकों का कहना है कि अपराधी अकसर इसलिए चुनाव जीत जाते हैं कि लोगों को लगता है कि वह उनके उन हितों की रक्षा करेगा जो राज करने में सक्षम है.

बहुत से अपराधी राजनीति को फायदेमंद कारोबार समझते हैं. कार्नेगी एंडाउमेंट के मिलन वैष्णव का कहना है, "भारी जेब वाले बहुत से ऐसे उम्मीदवार चुनाव पर किए गए खर्च को ऐसा निवेश मानते हैं जो अच्छा फायदा पहुंचाता है." एडीआर का कहना है कि इस साल के आम चुनावों में 545 सीटों पर 1,200 उम्मीदवार ऐसे थे जिन पर हत्या, अपहरण और जबरन वसूली के आरोप थे.

एमजे/ओएसजे (रॉयटर्स, एपी)