एक अलग सी प्रेम कहानीः द जैपनीज वाइफ
७ अप्रैल २०१०अपर्णा सेन ने 70 के दशक में कई बंगाली फिल्मों में काम किया. 1981 में उन्होंने ''36 चौरंगी लेन'' का निर्देशन किया. इस फिल्म की काफी प्रशंसा हुई और बेस्ट डायरेक्टर का अवॉर्ड भी अपर्णा को मिला. इसके बाद उन्होंने पारोमा, सती, युगांत, अमोदनी, उनिशे अप्रैल, तितली, मि. एंड मिसेज अय्यर जैसी कई फिल्मों का निर्देशन किया. इस समय अपर्णा चर्चित हैं अपनी नई फिल्म ''द जैपनीज वाइफ'' के लिए. पेश है अपर्णा से बातचीत:
आपने ‘द जैपनीज वाइफ' बनाने के बारे में कब सोचा?
मैं एक बार लेखक कुणाल बसु के साथ बैठी थी. उनसे बात हो रही थी, तब उन्होंने मुझे अपनी इस शॉर्ट स्टोरी के बारे में बताया. मैंने इसे पढ़ा और यह मुझे बहुत पसंद आई क्योंकि इसमें दिल को छू लेने वाली एक अलग-सी प्रेम कहानी है. मेरे विचार से यह सभी को पसंद आएगी.
इस कहानी के बारे में बताइए.
''जैपनीज वाइफ'' की कहानी है सुंदरवन के एक स्कूल शिक्षक स्नेहमोय और जापान की एक युवा लड़की मियागे की. ये दोनों ही पत्रों के माध्यम से एक दूसरे से मिलते हैं और आपस में उनमें प्यार हो जाता है. पत्र के माध्यम से ही वे शादी भी कर लेते हैं. उनकी शादी को 17 वर्ष हो चुके हैं और अब तक वे एक-दूसरे से कभी मिले.
क्या आज के समय में बिना एक-दूसरे से मिले प्यार होना और शादी संभव है?
क्यों नहीं. नेट पर भी तो लोग आजकल चैटिंग करते हैं और फिर प्यार करने लगते हैं.
राहुल बोस को चुनने की कोई खास वजह?
मुझे राहुल के साथ काम करना पसंद है. सभी जानते हैं कि वे कितना उम्दा अभिनेता हैं. मुझे अपनी फिल्म के लिए राहुल ही उपयुक्त लगे.
जापानी अभिनेत्री चिगुसा के साथ क्या अनुभव रहे?
भाषा की समस्या तो जरुर थी, लेकिन बहुत ही अच्छा काम किया है चिगुसा ने.
मौसमी चटर्जी को अभिनय के लिए कैसे राजी किया?
मौसमी मेरी पसंदीदा अभिनेत्री हैं. मैं हमेशा ही उनके साथ काम करना चाहती थी. अब वे फिल्में नहीं करती हैं, लेकिन मेरी बात मान गई.
सौजन्यः वेबदुनिया
संपादनः ए कुमार