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एंटीबायोटिक से बच्चों में मोटापा

२२ अगस्त २०१२

जीवन की रक्षा करने वाली दवाएं शरीर का बोझ बढ़ा रही हैं. एक ताजा शोध में कहा गया है कि अगर बच्चों को छह महीने से पहले ही जीवनरक्षक या एंटीबायोटिक दवाएं दे दी जाएं तो बच्चों में मोटापे की संभावना बढ़ जाती है.

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तस्वीर: picture alliance/dpa

ये रिपोर्ट योर्क विश्वविद्यालय के मेडिसिन विभाग की ओर से तैयार की गई है. इस रिपोर्ट तैयार करने वालों में शामिल लियोनार्डो ट्रासान्डे का कहना है, "आमतौर पर हम मानते हैं कि मोटापा गलत खान पान की वजह से होता है. इस मामले में किए गए कई शोध बताते हैं कि मामला और जटिल है. हम कितनी कैलोरी हजम कर पाते हैं ये हमारी आंतों में पाए जाने वाले जीवाणु और एंटीबायोटिक पर निर्भर करता है. खासतौर से जीवन के शुरुआती दौर में हम कितना एंटीबायोटिक खाते हैं ये बहुत अहम होता है. एंटीबायोटिक शरीर में मौजूद स्वास्थ्यवर्धक बैक्टेरिया को मार देता है."

इस शोध में ये भी बताया गया है कि कैसे एंटीबायोटिक का इस्तेमाल बच्चों के लिए हानिकारक होता है.

शुरुआती अध्ययन में पता चला है कि एंटीबायोटिक के इस्तेमाल से शरीर के जीवाणु मर जाते हैं. मोटापा, दमा और पेट की बीमारियां बढ़ती हैं. हालांकि इसे सीधे तौर पर साबित होना बाकी है. ये अपनी तरह का पहला रिसर्च है जिसमें बच्चों के मोटापे और एंटीबायोटिक के संबंध पर चर्चा की गई है. रिसर्च में शामिल दूसरे वैज्ञानिक जान ब्लूस्टाइन का कहना है कि किसान बहुत पहले से जानते थे कि एंटीबायोटिक खिलाने से गायों का वजन बढ़ता है.

शोधकर्ताओं ने ब्रिटेन के एवोन इलाके के 11 हजार 5 सौ 3 बच्चों पर इसका प्रयोग किया है. इसमें पाया गया कि जिन बच्चों को पैदा होने के छह महीने के भीतर एंटीबायोटिक दिए गए उनका वजन ज्यादा था.

10 से 2 महीनों के बच्चों के बीच हालांकि वजन का अंतर कम था लेकिन 38 महीने के बच्चों के वजन में ज्यादा अंतर पाया गया. बच्चों को एंटीबायोटिक किस समय दिया जा रहा है इसका भी मोटापे से संबंध होता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि जिन बच्चों को 6 से 14 महीनों के बीच में दवाएं दी गईं उनका वजन ज्यादा नहीं बढ़ा था. इसी तरह जिन बच्चों को 15 से 23 महीने के बीच एंटीबायोटिक दिया गया उनका भी वजन ज्यादा नहीं बढ़ा.

वीडी/एनआर (एएफपी)

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