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उबलते कश्मीर को पीएम ने पढ़ाया शांति का पाठ

११ अगस्त २०१०

कश्मीर घाटी में हिंसा की ताजा लहर के मद्देनजर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोगों से अपील की है कि वे शांति को एक मौका दें. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर सतत "आंतरिक और बाहरी वार्ता" को तैयार हैं. युवाओं को नौकरी का वादा.

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तस्वीर: AP Photo

घाटी में हालिया अशांति पर पहली बार सार्वजनिक रूप से बोलते हुए मनमोहन सिंह ने उन कश्मीरी युवाओं तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश की है जो इस विरोध आंदोलन की कमान थामे हुए हैं. नई दिल्ली में प्रधानमंत्री आवास पर जम्मू कश्मीर की पार्टियों की बैठक में प्रधानमंत्री ने नई शुरुआत का आह्वान किया.

Indien Kashmir Gewalt
तस्वीर: AP

टीवी पर सीधे प्रसारित संदेश में प्रधानमंत्री ने कश्मीर की घटनाओं पर अपने दुख को व्यक्त किया. कश्मीर में हालिया हिंसा में लगभग 50 लोग मारे गए हैं. उन्होंने कहा, "मैं हर उस मां, बाप, परिवार और बच्चे के दुख को समझता हूं जिसने अपनों को खोया है. चलो नई शुरुआत करें. मैं नौजवानों से अपील करता हूं कि वापस स्कूल और कॉलेजों में जाएं. फिर से क्लासें लगने दें. मैं उनके मां बाप से भी कहता हूं कि अगर आपके बच्चे पढ़ेंगे नहीं, तो कश्मीरियों का क्या भविष्य होगा."

सिंह ने यह भी कहा कि हिंसा का चक्र अब खत्म होना चाहिए. अब सरकार की जिम्मेदारी है कि कानून और व्यवस्था को बनाए रखे और "हम अशांति को जारी नहीं रहने देंगे." उन्होंने राज्य पुलिस और सुरक्षा बलों के सामने मौजूद "चुनौतीपूर्ण काम" का भी जिक्र किया.

प्रधानमंत्री ने कहा कि जाने माने अर्थशास्त्री सी रंगराजन के नेतृत्व में एक विशेषज्ञ समूह बनाया जाएगा. यह समूह सरकारी और निजी क्षेत्र में नौकरियों की योजना तैयार करेगा. तीन महीने के अंदर यह ग्रुप अपनी रिपोर्ट सौंपेगा.

इस बैठक में केंद्रीय मंत्री प्रणव मुखर्जी, एके एंटनी, पी चिदंबरम, एसएम कृष्णा, गुलाम नबी आजाद और जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी मौजूद थे. राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी पीडीपी और बीजेपी ने बैठक में हिस्सा नहीं लिया. जम्मू कश्मीर से नेशनल कांफ्रेस के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री फारुख अब्दु्ल्ला, सीपीएम नेता मोहम्मद यूसुफ तारेगामी और निर्दलीय विधायक गुलाम हसन मीर ने बैठक में हिस्सा लिया.

कश्मीर के लोगों से मुखातिब प्रधानमंत्री ने कहा कि हिंसा का चक्र खत्म होना चाहिए और शांति को एक मौका दिया जाना चाहिए. प्रधानमंत्री ने कहा कि वह महसूस करते हैं कि समस्या को सुलझाने का अकेला तरीका राजनीतिक समाधान है जो लोगों की भावुक जरूरतों को पूरा करे.

उन्होंने कहा, "इसे सिर्फ एक सतत आंतरिक और बाहरी वार्ता के जरिए ही हासिल किया जा सकता है. हम इसके लिए तैयार हैं. हम अपनी लोकतांत्रिक प्रक्रिया और ढांचे की सीमाओं के अंदर हर मुद्दे पर बात करने को तैयार हैं. लेकिन यह प्रक्रिया तभी आगे बढ़ सकती है और नतीजे दे सकती है जब शांति बनी रहे." सिंह ने कहा कि ज्यादातर लोग सभी मुद्दों का शांतिपूर्ण हल चाहते हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः एस गौड़

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