1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
विवाद

उत्तर कोरिया को दुलारता रूस

१९ मई २०१७

एक तरफ अंतरराष्ट्रीय समुदाय उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध कड़े कर रहा है तो दूसरी तरफ रूस ने प्योंगयांग को तेल की सप्लाई बढ़ा दी है. रूस क्यों उत्तर कोरिया की मदद कर रहा है?

https://p.dw.com/p/2dF7d
Russland Militärparade in Moskau
तस्वीर: Reuters/S. Karpukhin

परमाणु हथियार और लंबी दूरी की मिसाइलें बनाने में व्यस्त उत्तर कोरिया को संयुक्त राष्ट्र अलग थलग करना चाहता है. संयुक्त राष्ट्र ने उस पर कई कड़े प्रतिबंध लगाए हैं. लेकिन इन सबके बावजूद 2017 के पहले चार महीनों में रूस और उत्तर कोरिया के बीच कारोबार 85 फीसदी बढ़ चुका है.

रूस के कस्टम डाटा का हवाला देते हुए वॉयस ऑफ अमेरिका ने यह दावा किया है. दावे के मुताबिक जनवरी से मार्च की तिमाही में रूस और उत्तर कोरिया के बीच 3.18 करोड़ डॉलर का कारोबार हुआ. इस दौरान 2.2 करोड़ डॉलर का कोयला, 47 लाख डॉलर की लिग्नाइट और 12 लाख डॉलर का तेल बेचा गया. वहीं उत्तर कोरिया ने रूस को 4,20,000 डॉलर का सामान बेचा.

कड़े अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का असर उत्तर कोरिया और उसके पारंपरिक कारोबारी साझेदार चीन के व्यापार पर साफ देखा जा सकता है. बीजिंग ने तेल संकट की मार झेल रहे उत्तर कोरिया को फ्यूल ऑयल देना बंद कर दिया है. बीजिंग जाहिर कर रहा है कि वह उत्तर कोरिया के हथियार परीक्षण से नाराज है.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में उत्तर कोरिया के नए मिसाइल परीक्षण को "खतरनाक" करार दिया. साथ ही पुतिन ने यह भी कहा कि, "हमें तुरंत उत्तर कोरिया को डराना बंद करना चाहिए और इस समस्या का एक शांतिपूर्ण हल खोजना चाहिए."

टोक्यो की टेम्पल यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के असोसिएट प्रोफेसर जेम्स ब्राउन के मुताबिक रूस और उत्तर कोरिया का बढ़ता कारोबार भले ही "आर्थिक मौकापरस्ती" हो, लेकिन ज्यादा देशों के लिए अच्छा संदेश नहीं है, "रूस उत्तर कोरिया को अलग थलग करने से बहुत चिंतित है और उसे लगता है कि अमेरिका के आक्रामक रुख से स्थिति खतरनाक होती जा रही है. मॉस्को का कहना है कि उत्तर कोरिया पर दबाव काम नहीं कर रहा है, बल्कि डर के कारण प्योंगयांग प्रतिक्रिया दे रहा है. इसीलिए रूस उसे अलग थलग करने के बजाए मिलकर काम करने का प्रस्ताव दे रहा है."

रूस ने हाल ही में उत्तर कोरिया और अपने पूर्वी पोर्ट व्लादिवोस्टॉक के फेरी रूट को खोलने का समर्थन किया है. जापान के कड़े विरोध के चलते यह प्रस्ताव अब भी लटका हुआ है. रूस उत्तर कोरिया का 10 अरब डॉलर का कर्ज माफ कर चुका है. मॉस्को उत्तर कोरिया के खस्ताहाल रेलवे सिस्टम में 25 अरब डॉलर के निवेश का एलान भी कर चुका है. आधारभूत संरचना पर इससे भी ज्यादा रकम खर्च की जाएगी. दोनों सरकारें एलान कर चुकी हैं कि रूस उत्तर कोरिया के पावर ग्रिड दुरुस्त करेगा. रूसी कोयला निर्यात करने के लिए दोनों देश आईसफ्री पोर्ट भी बनाएंगे.

असल में रूस को अपने पूर्वी इलाके की भी चिंता है. प्रोफेसर ब्राउन कहते हैं, "रूस को हमेशा इलाके में अमेरिका द्वारा तैनात किये जा रहे मिसाइल डिफेंस सिस्टम से चिंता होती है. दक्षिण कोरिया में थाड एंटी मिसाइल सिस्टम लग चुकी है. और अब जापान में एगिस सिस्टम लगाने की चर्चा हो रही है. इसके चलते रूस उत्तर कोरिया में सीधी दिलचस्पी ले रहा है."

सियोल की ट्रॉय यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर डैनियल पिंक्सटन कहते हैं, "ऐसा लगता है कि पुतिन ने उदारवादी अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में उथल पुथल करने की नीति अपना ली है, इसके तहत कोई भी संस्थान जैसे नाटो, यूरोपीय संघ या फिर लोकतांत्रिक व्यवस्था" पर वह चोट कर रहे हैं.

पिंक्सटन के मुताबिक, "वह ऐसी अस्थिरता चाहते हैं जो रूस के हित साधे और कई मोर्चों पर, अमेरिका और उसके सहयोगियों के खिलाफ हाइब्रिड युद्ध. उत्तर कोरिया इस एजेंडे पर बिल्कुल फिट बैठता है क्योंकि वह वॉशिंगटन के लिए समस्याएं खड़ी करता है, अमेरिका को बांधे रखता है, उसके संसाधनों को निचोड़ता है और इलाके में उसके सहयोगियों के बीच मतभेद पैदा करता है." और उत्तर कोरिया भी इसका फायदा उठाना जानता है. वह कभी चीन के करीब जाता है तो कभी रूस के करीब.

(उत्तर पर कौन कौन से प्रतिबंध लगाए गए हैं)

जूलियन रायल/ओएसजे