ईस्टर पर्व पर पोप का संदेश
४ अप्रैल २०१०अपना परंपरागत उरबी एट ओरबी संदेश देते हुए पोप ने इस सिलसिले पवित्र ईस्टर पर्व और ईसा के पुनरुत्थान के महत्व को विशेष रूप से रेखांकित किया.
अगर ईश्वर के मेमने ईसा मसीह ने हमारे लिए अपना वलिदान न किया होता, हमारे जीवन में कोई आशा न होती. मौत ही हमारी किस्मत होती. लेकिन ईस्टर ने इसे बदल दिया. ईसा का पुनरुत्थान एक नया जीवन है, एक अंकुर है, जिससे पूरा पौधा विकसित हो सकता है. - पोप बेनेडिक्ट सोलहवे.
पोप बेनेडिक्ट ने अपने संदेश में विश्व के संकटग्रस्त क्षेत्रों की चर्चा करते हुए सबसे पहले मध्य पूर्व का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि ईसा के जीवन, उनकी मौत और उनके पुनरुत्थान के इस क्षेत्र में शांति होनी चाहिए. पोप ने इराक में हिंसा तथा लातिन अमेरिका के अनेक देशों में हिंसा व मादक द्रव्यों के व्यापार की भी चर्चा की. अफ़्रीका के सिलसिले में उन्होंने कहा -
ईसा के पुनरुत्थान की शक्ति के साथ अफ़्रीका में संघर्षों का अंत हो, जो विनाश और पीड़ा का कारण है. वहां शांति और समरसता का वातावरण हो, ताकि विकास हो सके. मैं ख़ासकर कांगो, गिनी और नाइजीरिया के भविष्य की ख़ातिर प्रार्थना करता हूं. - पोप बेनेडिक्ट सोलहवे.
इस बीच अमेरिका से कैथलिक गिरजे के ख़िलाफ़ नए आरोप लगाए गए हैं. अपने ईस्टर संदेश में पोप बेनेडिक्ट ने बच्चों के साथ कुछ कैथलिक पादरियों के यौन दुराचार के आरोपों के सिलसिले में कोई टिप्पणी नहीं की.
रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ
संपादन: सचिन गौड़