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ईसा के कफ़न के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़

२० अप्रैल २०१०

यूं तो उसकी प्रामाणिकता संदिग्ध है, लेकिन इन दिनों हज़ारों श्रद्धालु और सैलानी ईसा मसीह के कफ़न के दर्शन के लिए इटली के तुरिन की यात्रा कर रहे हैं. वहां कपड़े का एक टुकड़ा दिखाया जा रहा है, इसे ईसा का कफ़न माना जाता है.

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ईसा का कफ़न?तस्वीर: DW/Bernd Riegert

लगभग साढ़े चार मीटर लंबे व सवा मीटर चौड़े इस थान पर सलीब पर एक इंसान का नेगेटिव सा चित्र देखा जा सकता है, जिनकी लंबी दाढ़ी है, व दोनों हाथ सीने पर जुड़े हुए हैं. चारों ओर ख़ून के धब्बे हैं, जिन्हें देखकर लगता है कि वे घाव से बह निकले हैं.

दक्षिण इटली से आए तीर्थयात्री पाओलो मोरोनी का कहना है कि इस कफ़न को देखकर लगता है कि सलीब पर चढ़ाए गए ईसा की कहानी बिल्कुल सच है. यहां एक इंसान को देखा जा सकता है, जिसकी बर्बर ढंग से हत्या की गई और जिसे ऐसी दयनीय हालत में पहुंचाया गया.

Flash-Galerie Turiner Grabtuch
श्रद्धालुओं की भीड़तस्वीर: AP

शक्की लोगों का कहना है कि यह मध्ययुग की एक जालसाज़ी है और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इसे खोज निकाला गया है. 1988 में ऑक्सफ़ोर्ड, ज़ुरिष, टक्सन व आरिज़ोना में किए गए कार्बन डेटिंग से पता चला कि यह थान 1260 से 1390 के बीच का है. यानी कि यह एक जालसाज़ी है और यह ईसा का कफ़न नहीं हो सकता.

लेकिन वैज्ञानिकों के पास इस सवाल का जवाब नहीं था कि इस थान पर नेगेटिव जैसे चित्र और ख़ून जैसे धब्बे कैसे बनाए गए. अधिकतर वैज्ञानिकों का कहना था कि थान के उपर ऐसे चित्र बनाना या छापना संभव नहीं था.

पिछले साल इटली के एक वैज्ञानिक ने मध्य युग में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्रियों और तकनीक की मदद से ऐसा ही एक कफ़न तैयार किया. उनका कहना था कि यह एक जालसाज़ी है. लेकिन श्रद्धालुओं का विश्वास कायम है.

मध्य पूर्व और फ़्रांस से होता हुआ कफ़न का यह टुकड़ा इटली के राजवंश के हाथों आया, और 1578 में इसे तुरिन में रखा गया. 1983 में इटली के भूतपूर्व सम्राट उम्बैर्तो द्वितीय ने इसे पोप को प्रदान किया. बीसवीं सदी में इसे सिर्फ़ चार बार प्रदर्शित किया गया.

इस कफ़न के मालिक के तौर पर पोप बेनेडिक्ट 2 मई को उसके दर्शन के लिए जाएंगे.

रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ

संपादन: ओ सिंह